
मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व की मध्यप्रदेश सरकार ने भीड़तंत्र द्वारा फैल रही हिंसा को रोकने के लिए कड़े कदम लेने का फैसला लिया है, 2014 में कांग्रेस के सत्ता से हटने और भाजपा का केंद्र की राजनीति में वापसी करने के बाद से निरंतर देखने को मिल रहा है की हिन्दू चरमपंती लगातार हिंसक होते नज़र आये हैं और भीड़तंत्र द्वारा हत्या के सैकड़ों मामले पंजीबद्ध हुए हैं ।
भीड़तंत्र हिन्दू आराध्य “प्रभु राम” का नाम हिंसा फैलाने के लिए निरंतर उपयोग कर रही है और ज्यादातर मामले सामने आए हैं कि जब किसी गैर हिन्दू समुदाय के व्यक्ति को “जय श्रीराम” का उद्घोष लगाने की लिए कहा जाता है और ऐसा न करने की स्तिथि में पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है, दूसरी ओर “गौमांस” खाने को लेकर “गौमाता” के संरक्षण के नाम पर निरंतर हिंसा के मामले सामने आते रहे हैं ।

दोनों ही मामलों में प्रदेश में शांति बहाल रखने के लिए कमलनाथ सरकार ने प्रबंधन करना सत्ता में आते ही सुरु कर दिया था जिसका उदाहरण है प्रत्येक जिले में “गौशाला” खुलवाना एवं उसके भरण-पोषण के लिए जरूरी सहायता देना, और अब एक कदम आगे बढ़कर भीड़तंत्र द्वारा हिंसा के खिलाफ कमलनाथ सरकार ने गुरुवार शाम को बड़ा निर्णय लिया है जिसमे कानून बनाया गया है कि यदि भीड़तंत्र द्वारा हिंसा के मामले में यदि कोई भी दोशी पाया गया तो 3 साल की सज़ा का प्रावधान किया गया है ।
देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र में बैठी भाजपा भीड़तंत्र द्वारा होने वाली हिंसा पर अंकुश लगाने कब कोई कदम उठाती है गौरतलब है कि भाजपा शाषित प्रदेशों में सबसे ज्यादा इस तरह के मामले अब तक सामने आए हैं जब भीड़तंत्र ने हिंसा फैलाते हुए किसी की जान ली हो ।