जहा एक तरफ विश्व कोरोना के खिलाफ वैक्सीन ढूंढ रहा है तो बाबा रामदेव ने इस दवा का ट्रायल भी कर दिया है जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई है आयुष मंत्रालय ने इस दवा का प्रयोग न करने की सख्त चेतावनी दी हैं। लेकिन फिर भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा था जिसके बाद योगगुरु बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और चार अन्य लोगों के ख़िलाफ राजस्थान की राजधानी जयपुर में एफआईआर दर्ज़ हो गई है. वजह है कोरोनिल दवा, जिसको पतंजलि की तरफ से इस दावे के साथ लॉन्च किया गया था कि ये कोरोना वायरस की वजह से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में कारगर है. एफआईआर में इन सभी पर भ्रामक दावे करने का आरोप है.
जयपुर के ज्योतिनगर थाने में 26 जून को एफआईआर दर्ज कराई गई. इसमें रामदेव और बालकृष्ण के अलावा वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर और निदेशक डॉ. अनुराग तोमर के भी नाम शामिल हैं. ज्योतिनगर थाना प्रभारी सुधीर कुमार उपाध्याय ने पुष्टि की कि इन सभी पर कोरोनिल दवा के ज़रिये भ्रामक प्रचार करने का आरोप है.
शिकायत जयपुर के ही एक वकील बलराम जाखड़ ने दर्ज़ कराई है. जाखड़ ने बताया –
“कोरोनिल दवा को लेकर प्रचार गुमराह करने वाला था. इसलिए रामदेव और पांच लोगों के ख़िलाफ आईपीसी की धारा-420 यानी धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है.”
“हमने ली थी अनुमति”
निम्स अध्यक्ष बलबीर सिंह तोमर का भी एफआईआर में नाम है. उनका कहना है –
“दवा के ट्रायल से पहले हमने CTRI से अनुमति ली थी. ये ICMR की ही एक बॉडी है. फिर निम्स, जयपुर के 100 मरीजों पर हमने इस दवा का ट्रायल भी किया था. 69 फीसदी मरीज 3 दिनों में ठीक हो गए थे. जबकि 7 दिन में तो 100 फीसदी मरीज ठीक हो गए थे.”
इससे पहले बाबा रामदेव और बालकृष्ण के ख़िलाफ बिहार हाईकोर्ट में भी शिकायत दर्ज़ हो चुकी है. वहां भी आरोप है कि ग़लत और भ्रामक दवा लॉन्च करके उन्होंने लाखों लोगों की ज़िंदगी ख़तरे में डाली.
आपको बताए कि राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने सबसे पहले कोरोनिल पर बयान देते हुए कहा था कि राजस्थान मे कोई भी इसका प्रयोग नही करेगा अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लियै कोरोना मरीजो की जिंदगी खतरै मे डालना उचित नही हैं।