कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने रक्षा संबंधी स्थाई समिति की बैठक में पहली बार शामिल होकर अपनी बात रखी।
भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी के बीच कांग्रेस राहुल गांधी पहली बार रक्षा संबंधी स्थायी समिति की बैठक में शामिल हुए। राहुल गांधी चीन पर सरकार की नीति के मुखर आलोचक रहे हैं।
राहुल गांधी को जब से इस समिति में नामित किया गया है, उसके बाद वह पहली बार इसमें शामिल हुए हैं।
राहुल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार, चीन को हमारी जमीन से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने से बच रही है।
केंद्र सरकार के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से हमलावर रुख अपना रहे राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, “चीन के साथ बातचीत केवल मार्च 2020 की यथास्थिति बहाल करने के बारे में होनी चाहिए. प्रधानमंत्री और भारत सरकार ने चीन को हमारी जमीन से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा अन्य ‘बात’ बेकार है.”
वायनाड से सांसद राहुल ने सवाल किया है कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है और सरकार इसे वापस हासिल करने के लिए क्या कर रही है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “चीनियों ने हमारी जमीन ले ली है. भारत सरकार इसे वापस लेने के लिए कब योजना बनाएगी? या इसे भी दैवीय घटना (ऐक्ट ऑफ गॉड) बताकर छोड़ा जा रहा है.”
सूत्रों ने कहा कि बैठक में एनसीपी नेता शरद पवार ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सेना के आमने-सामने की स्थिति पर विस्तृत जानकारी देने की मांग की है. इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत भी शामिल हुए।
इससे पहले रक्षा संबंधी स्थाई समिति की बैठक में शामिल ना होने को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए उन्हें गैर जिम्मेदार नेता बताया था।