आर्थिक मोर्चे पर लगातार कमजोर हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था को एक और झटका तब लगा है जब आर्थिक जगत की एक और नामचीन रेटिंग एजेंसी फिंच इंडिया ने भी भारत GDP का अनुमान फिर एक बार घटा दिया है। इससे पहले भी कई एजेंसियों के द्वारा रेटिंग कम करने पर सरकार आलोचना झेल चुकी है।
सरकार के अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती को दूर करने के तमाम प्रयासों के बीच फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।
फिच ने इसके साथ ही रेटिंग को घटाकर के BBB- स्थिर आउटलुक कर दिया है। इससे पहले फिच ने जीडीपी का अनुमान 4.7 फीसदी लगाया था। इस साल अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 5 फीसदी रही थी, जो 2013 से अब तक सबसे कम थी।
अब चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.7 फीसदी विकास दर का अनुमान सही होता है तो यह 2012 के बाद पहली बार लगातार छठी तिमाही होगी, जब सुस्ती देखने को मिलेगी। सरकार ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हाल में कॉरपोरेट कर में कमी जैसे कई कदम उठाए हैं।
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 20 के लिए अपने विकास अनुमान को संशोधित करके 5.6 फीसदी कर दिय है। यह उसके द्वारा चौथा संशोधन है और एक महीने पहले ही वित्त वर्ष 20 के लिए जीडीपी अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी किया गया था।’
एजेंसी ने कहा, ‘ऐसा करना जरूरी हो गया था, क्योंकि डाटा से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में 5 फीसदी से ज्यादा का पिछला अनुमान हासिल होने की उम्मीद कम ही है। नए अनुमान से संकेत मिलते हैं कि वित्त वर्ष 20 की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी रह सकती है।’
देश को आर्थिक मोर्चे पर लगातार नुकसान हो रहा है मगर इसके बाबजूद सरकार ऐसा कोई ठोस कदम उठाते नही दिख रही है जिससे अर्थव्यवस्था को रफ़्तार मिल सके।