क्या EVM में छेड़छाड़ करके भाजपा जीत रही है चुनाव?

EVM
Photo credit: Social media

2014 के बाद भाजपा 2019 का लोकसभा चुनाव भी बड़ी आसानी से जीत गई थी. उसके बाद भाजपा ने कई राज्यों में भी चुनाव जीत कर अपनी सरकार बनाई. कई विपक्षी दलों द्वारा तथा कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा यह आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं कि देश में भाजपा का विरोध हो रहा है उसके बाद भी भाजपा चुनावी जीत दर्ज करने में कामयाब हो जा रही है. इसके पीछे कहीं ना कहीं EVM को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

कहां जा रहा है कि EVM से चुनाव बंद होने चाहिए और वैलेट पेपर फिर से लाया जाना चाहिए. EVM को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम पैदा हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग भी विपक्षी पार्टियों की मांगों को मानने से जानबूझकर इनकार कर रहा है. चुनाव आयोग पर भी कई तरह के आरोप लग रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि चुनाव आयोग भी निष्पक्ष नहीं है.

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के दौरान और लोकसभा चुनावों में भी देखा गया कि सोशल मीडिया पर कई तरह के वीडियो वायरल हुए और आरोप लगे कि बीजेपी के नेताओं ने ईवीएम मशीन को ही बदल डाला. हालांकि ऐसे आरोप सिद्ध नहीं हुए. चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था.

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भी EVM का जमकर विरोध हो रहा है, विपक्षी पार्टियों के नेताओं द्वारा तथा दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं तथा समर्थको द्वारा. 2024 का लोकसभा चुनाव बैलट पेपर से कराने की मांग हो रही है. हालांकि चुनाव आयोग द्वारा यह मांग मानी जाएगी इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है.

क्या EVM के जरिए भाजपा जीत रही है चुनाव?

भाजपा की तरफ से 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है और नारा दिया गया है अबकी बार 400 पर यानी बीजेपी 400 से अधिक सीटें 2024 के लोकसभा चुनाव में जितने के दावे अभी से कर रही है. इस पर भी सरकार के विरोधी यह कह रहे हैं कि जब EVM है फिर भाजपा को किस बात की चिंता है. EVM से धांधली की जाएगी इसलिए भाजपा इतने कॉन्फिडेंस के साथ 400 पर का नारा दे रही है, ऐसा आरोप भी सोशल मीडिया के जरिए लोग लग रहे हैं.

हालांकि दूसरा पहलू यह भी है कि भाजपा के नेता तथा कार्यकर्ता जमीन पर जनता से जुड़े हुए हैं. अपनी सरकार की नीतियों को जनता तक ले जा रहे हैं, इसका फायदा भी भाजपा को खूब हो रहा है. इसके अलावा मीडिया के जरिए भी भाजपा का खूब प्रचार हो रहा है. 24 घंटे प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों को मीडिया के जरिए दिखाया जाता है. जनता के दिलों दिमाग में सिर्फ एक चेहरा रहता है जिसे वह टीवी के माध्यम से समाचारों में देखती है और इसका लाभ भी वोटिंग वाले दिन भाजपा को होता है.

दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी के नेताओं को मीडिया में स्पेस कम मिलता है. राहुल गांधी “न्याय यात्रा” इस वक्त कर रहे हैं, लेकिन मीडिया में जितना स्पेस राहुल गांधी को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है. उनके बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश किया जाता है. मीडिया में राहुल गांधी की गलत छवि बनाई गई है और मीडिया के माध्यम से ही राहुल गांधी की गलत छवि देश के कोने-कोने में समाचार माध्यमों से जनता तक गई है, जिसका नुकसान कांग्रेस को और राहुल गांधी को बड़े पैमाने पर हुआ है.

भाजपा को कौन लोग वोट दे रहे हैं?

EVM को लेकर कोई कितने भी आरोप भाजपा पर लगा ले लेकिन जमीनी सच्चाई यह भी है कि समाज के अलग-अलग वर्गों का वोट पाने के लिए भाजपा ने समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच काफी मेहनत की है. मीडिया के माध्यम से भी तथा सोशल मीडिया के माध्यम से भी जनता के बीच भाजपा यह संदेश देने में कामयाब हुई है कि वह उन्हीं की पार्टी है, जनता के लिए ही काम कर रही है तथा समाज के हर वर्ग को सम्मान दे रही है.

दूसरी तरफ विपक्ष सरकार की गलत नीतियों को जनता तक पहुंचने में नाकाम रहा है, उसे मीडिया का भी साथ नहीं मिला है. इसका सीधा लाभ भाजपा को आज की तारीख में हो रहा है. भाजपा को सवर्णों की पार्टी कहा जाता है, लेकिन आज के वक्त में दलित ओबीसी वोट बैंक भाजपा के पास बड़ी संख्या में मौजूद है.

चुनावी राजनीति के हिसाब से इस वक्त विपक्ष के पास भाजपा का कोई तोड़ नजर नहीं आ रहा है. समाज के अलग-अलग वर्गों का वोट लेने के लिए भाजपा समाज के अलग-अलग वर्गों को अपनी सरकार में सम्मान दे रही है तथा जनता के बीच यह संदेश देने में कामयाब हो रही है कि उन्ही के समाज के लोगों को अपनी सरकार में बड़े-बड़े पदों से भाजपा नवाज रही है.

EVM के माध्यम से गड़बड़ी हो रही हो या ना हो रही हो लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि भाजपा को बड़ी तादाद में एक मुस्त वोट समाज के अलग-अलग वर्गों का मिल रहा है. भाजपा जनता को यह संदेश देने में कामयाब हो गई है कि वह जनता की पार्टी है और विपक्ष को जनता के बीच बदनाम करने में भी कामयाब हो गई है, यह बोलकर कि विपक्ष परिवारवाद को बढ़ावा दे रहा है.

हालांकि भाजपा में भी कई परिवारवादी पार्टीयां गठबंधन के माध्यम से जुड़ी हुई है और भाजपा के कई नेताओं के पुत्र भी राजनीति में सक्रिय है, लेकिन विपक्ष को परिवारवाद के नाम पर भाजपा बदनाम करने में कामयाब हो गई है. क्षेत्रीय दलों का अपना वोट बैंक है. अपने समाज के वोट बैंक के नाम पर कई बार क्षेत्रीय दलों ने सरकार बनाई है. लेकिन दलित-ओबीसी बड़ी तादाद में आज की तारीख में भाजपा से जुड़ चुके हैं. उसका सीधा लाभ भाजपा को मिल रहा है. क्षेत्रीय दल जिस वोट बैंक के सहारे सरकार बना लेते थे आज वह वोट बैंक भाजपा की तरफ शिफ्ट हो चुका है.

इसलिए EVM पर संदेह करने के साथ-साथ विपक्ष को जमीन पर उतरकर काम करना होगा, जनता के बीच जाना होगा. जो उसका वोट बैंक आज भाजपा की तरफ शिफ्ट हो चुका है उसे वापस अपने पाले में लाना होगा. जब तक ऐसा विपक्ष नहीं कर पता है तब तक EVM पर हार का पूरा ठीक कर फोड़ना जल्दबाजी होगी. भाजपा के प्रचार का सबसे बड़ा हथियार है मीडिया और इसका तोड़ विपक्ष को निकलना होगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here