गहलोत ने मायावती के हमलों का दिया जबाब , कहा बसपा विधायक अपनी इच्छा से कांग्रेस में शामिल हुए

राजस्थान में बसपा को उस समय झटका लगा जब उनके छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए पहले बाहर से समर्थन कर रहे बसपा विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और इसके साथ कांग्रेस विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से और मजबूत हो गई जिसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के खिलाफ ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस को विश्वासघाती कहा जिसके जवाब में राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भी पलटवार किया है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के छह विधायक अपनी इच्छा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं और इसके साथ ही आरोप लगाया कि भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार को अस्थिर करने के लिए वहां विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। गहलोत ने कहा, “कांग्रेस में शामिल होने का उनका (बसपा विधायकों का) अपना निर्णय था। हमने उन्हें कभी खरीदने की कोशिश नहीं की क्योंकि हम भाजपा की तरह नहीं हैं जिसने कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने के लिए हमारे विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया।”

बसपा प्रमुख की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा, “मायावती की ओर से प्रतिक्रिया देना स्वभाविक है।
मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं। लेकिन, उन्हें राजस्थान की राजनीतिक स्थिति को समझना चाहिए। देश और राज्य में यह भिन्न-भिन्न होती है।”

मायावती ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर तीन ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया था।

अपने पहले ट्वीट में उन्होंने कहा, “राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बसपा के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमंद व धोखेबाज पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बसपा के साथ विश्वासघात है, जब बसपा वहां कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी।”

अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “कांग्रेस अपने कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उसे सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।”

अपने तीसरे ट्वीट में बसपा प्रमुख ने कहा, “कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डॉ. अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दु:खद व शर्मनाक।”

विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने 99 और बसपा ने 6 सीट जीता था जबकि एक उपचुनाव भी कांग्रेस जीती थी और कांग्रेस का विधानसभा में कुल आंकड़ा 100 हो गया था। बसपा के 6 विधायक कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन कर रहे थे जिस कारण वो ना तो सरकार का हिस्सा बन पा रहे थे और ना ही उन्हें किसी प्रकार का सरकार में पद प्राप्त हो रहा था जिस कारण से उन्होंने कांग्रेस में जाना उचित समझा और वह विधानसभा स्पीकर से मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए

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