
हरियाणा विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले इस चुनाव को एकतरफा बताया जा रहा था लेकिन कांग्रेस द्वारा किए गए संगठनात्मक बदलाव और फिर टिकट वितरण में संभल-संभल कर टिकट का बंटवारा कांग्रेस को हरियाणा में बीजेपी पर बढ़त बनाने का मौका दे रहा है। अगर हरियाणा के सभी 90 विधानसभा सीटों की बात करें तो इसमें 42 से 45 सीटें हैं जहां कांग्रेस बीजेपी पर बढ़त बनाते हुए दिखाई दे रही है।
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा प्रदेश के व्यापक दौरे के बाद ये बात कही जा सकती है कि इसबार का चुनाव लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा तो कतई नहीं होता दिख रहा है। पूरे राज्य का मूड देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि कम से कम 40 सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी को कांग्रेस के उम्मीदवारों से बहुत ही कड़ी टक्कर मिल सकती है। कांग्रेस की बेहतर स्थिति वाली ये सीटें पूरे राज्य में फैली हुई हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इनमें से वे सीटें तो हैं ही, जहां कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, कई वैसी सीटें भी हैं, जहां भाजपा के दिग्गज नेता और राज्य सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी अपना किस्मत आजमा रहे हैं।
हरियाणा कि जिन 40 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की स्थिति दिनोदिन बेहतर होती जा रही है, उनमें महेंद्रगढ़, बादली और ऐलनाबाद जैसी सीटें भी शामिल हैं। बता दें कि महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के उम्मीदवार राव दान सिंह प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं बादली सीट पर पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप वत्स से प्रदेश के कृषि मंत्री ओपी धनकड़ को कठिन चुनौती मिल रही है। यहीं नहीं पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के प्रभाव वाले इलाके की खरखौदा और बड़ौदा सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।
हमगढ़ी सांपला किलोई विधानसभा से कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां अभी हुड्डा के आगे कोई भी उम्मीदवार मुकाबले में नहीं दिख रहा है। हरियाणा के तोशाम विधानसभा सीट की भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। यहां पर कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार और पार्टी की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी बाकी उम्मीदवारों की तुलना में काफी आगे दिखाई दे रही हैं।
हरियाणा में अब सिर्फ तीन दिनों का चुनाव प्रचार ही बाकी रह गया है। प्रदेश के कम से कम 18 विधानसभा सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। ऐसे में बीजेपी के लिए दिक्कत ये है कि उसे अगर 40 सीटों पर कांग्रेस से टक्कर मिल रही है तो कम से कम 7 सीटों पर दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी और कम से कम एक जगाधरी सीट पर बसपा के उम्मीदवार से भी कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। अगर इन तीन दिनों में टिकट बंटवारे के अपने सोशल इंजीनियरिंग के जरिए कांग्रेस पार्टी इन बहुकोणीय मुकाबले में फंसी 18 सीटों में भी अपना प्रभाव दिखाने में सफल रही तो हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले भी हो सकते हैं।
लोकसभा चुनाव को याद रख मीडिया चैनलों पर बड़ी-बड़ी दावे करने में और प्रदेश की जमीनी स्थिति में फर्क दिख रहा है। प्रदेश की जनता के बीच खट्टर सरकार के खिलाफ में गुस्सा है। कांग्रेस ने पार्टी में बदलाव करते हुए जिस तरह से प्रदेश के हर क्षेत्र से हर वर्ग को जोड़ा है उससे कांग्रेस को काफी फायदा होता हुआ दिख रहा है।