हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले नए समीकरण और नए समीकरण के साथ कांग्रेस में होगा बदलाव

खेमेबाजी के कारण हरियाणा में गम्भीर संकट झेल रही कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले नए रणनीति और नए समीकरणों के साथ बदलाव करने जा रहिए है।

इसमे सबसे पहला रणनीति ये है जातीय और समीकरण के साथ सभी नेताओं को जिम्मेदारी।
लोक सभा चुनावों के दौरान जाटलैंड क्षेत्र सोनीपत और रोहतक में जाट नेताओं की पराजय के बाद कांग्रेस ने राज्य की कमान किसी जाट नेता के हाथ देने का इरादा टाल दिया है. परन्तु संतुलन बनाये रखने के लिए पार्टी ने आधा दर्ज़न नेताओं में बंटी कांग्रेस को सँभालने का जिम्मा कुमारी सैलजा , भूपेंद्र सिंह हुड्डा , अशोक तंवर , किरण चौधरी , रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुलदीप बिश्नोई को सौंपने के तैयारी कर ली है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी इसमें एक-दो गैर जाटों के उच्च जाति के नेताओं के शामिल करने के भी इरादे में है। परन्तु कांग्रेस कमेटी में दबदबा अन्य पिछड़ी जातियों का रहेगा , जिसका नुकसान कांग्रेस ने लोक सभा चुनावों में भुगता है।

हरियाणा कांग्रेस को एक मंच पर लाने के लिए पार्टी ने चौथे प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद को जिम्मेवारी सौंपी तो वे भी हरियाणा के नेताओं का दिल जोड़ने में असफल रहे। आजाद ने हरियाणा कांग्रेस के लिए एक रिपोर्ट बना कर पार्टी हाई कमान को भेजी है , जिसमे हरियाणा में अक्टूबर माह में होने जा रहे विधान सभा चुनावों में पार्टी को मजबूत करने का फार्मूला है।

इस फार्मूले में हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष एक दलित को ही बनाये जाने की बात है। परन्तु पार्टी सभी नेताओं को ‘एडजस्ट ‘ करने के फार्मूले पर है , जिसमे किसी को अध्यक्ष पद , किसी को नेता विपक्ष का पद , विभिन्न कार्यकारी अध्यक्ष बना कर राज्य में उत्तर -दक्षिण की कमान सँभालने जैसी योजना है तो किसी को पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में भी शामिल कर जिम्मेदारी देने की बात है।

भाजपा ने लोक सभा चुनावों में गैर-जाटवाद का कार्ड खेला था जिसके उसे भरपूर फायदा मिला। खास बात ये थी कि सर्वाधिक जाट वोट वाली हरियाणा में भाजपा ने लोक सभा चुनावों में एक भी जाट उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था।

इन्ही सब बातों को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस हाईकमान अब हरियाणा में विधानसभा से पहले कई बदलाव करने की तैयारी में है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here