
ये शब्द इंदिरा गांधी के हैं। कुछ ऐसा भरोसा था उन्हें अपनी लाड़ली प्रियंका पर। वही प्रियंका जो अब आधिकारिक तौर पर कांग्रेस की महासचिव बन चुकी हैं। वो चर्चाओं, सुगबुगाहटों और दबी हुई जुबानों के पर्दों से निकलकर सामने आ खड़ी हुई हैं। और इसी के साथ प्रियंका को राजनीति में लाने की 10 साल पुरानी मांग भी खत्म होती है। प्रियंका के लिए इंदिरा ने जो कुछ कहा उसे जानना और समझना बेहद दिलचस्प है। कांग्रेस के चाणक्य और इंदिरा गांधी के सबसे भरोसेमंद नेता माखनलाल फोतेदार ने साल 2015 में ये पूरा किस्सा सुनाया।
“उस वक्त इंदिराजी ने मुझे कहा कि मेरे यहां एक लड़की है जिसका नाम प्रियंका है। उसका भविष्य बहुत अच्छा है। जब वो बड़ी हो जाएगी। थोड़ा-बहुत सोचने लगेगी। लोग मुझे भूल जाएंगे, उसको याद करेंगे।”
“इंदिरा जी ने कहा कि देश के भविष्य के लिए जो मैं हूं, वो भी बन सकती है। उनके हाथ में जिस वक्त देश की कमान रहेगी, वो बहुत मजबूत रहेगी।”
इंदिरा को करीब से जानने वाले ये भी जानते हैं कि प्रियंका और राहुल में उनकी जान बसती थी। सियासी परिवेश में नई पीढ़ी के लिए ऐसे ख्यालात आसानी से समझ आते हैं।
प्रियंका में इंदिरा की छवि भी नजर आती है। याद कीजिए साल 2014 का चुनावी प्रचार। अमेठी और रायबरेली में प्रियंका ने ग्रामीणों के बीच इतना सहज अभियान चलाया कि लोग उनके मुरीद हो गए। हैंडलूम की साड़ी में, एसपीजी से बेपरवाह, लोगों के बीच हिलती-मिलती प्रियंका अक्सर इंदिरा गांधी की याद दिलाती हैं। वो अपनी सौम्य मुस्कुराहट से जनता को कायल करना जानती हैं।
प्रियंका बेबाक हैं, बेलौस हैं। उनकी जुबान बेहद साफ है। भाषणों का तेवर भी, जहां जरूरत हो वहां नरम और जहां जरूरत हो वहां भरपूर हमलावर। वो अपने भाषणों में इंदिरा गांधी को याद करना नहीं भूलतीं। 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली में प्रियंका ने कहा था,
“मैंने इंदिराजी से सीखा था कि जब सच्चाई दिल में होती है, जब दिल का इरादा सही होता है तो एक कवच बन जाता है छाती के अंदर…जितना जलील करते हैं, उतना मजबूत बनता है।”