क्या जोधपुर ने 40 साल के संघर्ष पर पानी फेर दिया?

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम सबसे निराशाजनक राजस्थान से रहे ये राजस्थान का दुर्भाग्य है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी का एक भी सांसद राजस्थान की आवाज सदन मे नही उठा पायेगा

जोधपुर जो राजस्थान की दूसरी राजधानी मानी जाती है पूरे देश भर मे अगर कही पर भी जोधपुर नाम आता है तो सीधा यही याद आता है क्या आप गहलोत साहब के जोधपुर से है? मतलब जोधपुर की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर अशोक गहलोत के कारण ही हैं

अशोक गहलोत जो स्वयं जोधपुर से सांसद चुनकर दिल्ली पहुचे थे उन्होने इस बार अपने बेटे वैभव को टिकट दिलाया चूंकि वैभव गहलोत ने टिकट के लिये 2014 मे भी आवेदन किया था लेकिन उस उनका नाम समय रिजेक्ट हो गया था इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और वैभव गहलोत के काम को देखते हुए टिकट मिला माना जाता है कि राहुल गांधी वैभव को चुनाव नही लडवाना चाहते थे लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने नाम आगे किया और टिकट भी दिलवाया एक चुनावी सभा मे सचिन पायलट ने खुद स्वीकार किया है वैभव गहलोत की जमानत मैने दी है

यकायक जोधपुर का माहौल वैभव के पक्ष मे एकतरफा हो रहा था मानो ऐसा लग रहा था कि वैभव गहलोत शानदार वोटो से चुनाव जीत रहे है लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली के बाद सारा माहौल अचानक से बदल गया वही अमित शाह के रोड शो मे आयी भीड ने जोधपुर मे गहलोत परिवार के किये काम को भूलकर बाहरी जो शेखावटी से ताल्लुक रखते हैं गजेंद्र सिंह को सांसद बनाया

जब चुनाव हुआ तब राजनैतिक विश्लेषक हार जीत का अंतर महज 40-50,000 का बता रहे थे लेकिन परिणाम 2.75 लाख से बडी हार का आया इस परिणाम को अभी तक लोग समझ नही पाये कि आखिर इतना अंतर कैसे आया?

अशोक गहलोत जिन पर लगातार आरोप लगते रहे है कि वो जोधपुर के ही मुख्यमंत्री है सारा काम जोधपुर मे करवाते है उस जोधपुर ने भी अशोक गहलोत को करारी शिकस्त देने का काम किया हैं

अशोक गहलोत अब शायद ही जोधपुर जाये क्योंकि अशोक गहलोत इस समय अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे है उनके नेतृत्व पर पहली बार उंगली उठी है आज जोधपुर के कारण अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने कांग्रेस का हत्यारा तक कह दिया जोधपुर ने 40 साल के संघर्ष को जिस तरह से भुलाया है वो इतिहास के कोरे पन्नो मे सुनहरे अक्षरो से लिखा जायेगा

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