
पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश कांग्रेस में खींचतान और गुटबाजी की खबर सामने आ रही थी जिसके बाद कांग्रेस नेता एक दूसरे पर कटाक्ष कर रहे थे लेकिन अब लगता है यह धीरे-धीरे कम हो रहा है और नेताओं में फिर से सामंजस्य देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाना है इसलिए अपने-अपने दावेदारी के लिए उनके गुट के नेता गुटबाजी कर रहे थे मगर गुटबाजी से हो रहे नुकसान को देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता अब इस गुटबाजी को खत्म कर साथ चलने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
नेताओं के बीच खींचतान, मनमुटाव और दूरियां को खत्म करने की शुरुआत पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से हुई, जिन्होंने भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की। कांग्रेस नेतृत्व ने बारी-बारी राज्य के तीनों गुटों के नेताओं कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय सिंह से बातचीत की थी।
इसके बाद नेताओं की एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और शिकायतों के बाद मामला अनुशासन समिति को सौंपा गया है।
पिछले दिनों कांग्रेस शासित मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में सोनिया गांधी ने सरकार और संगठन के बीच तालमेल बैठाने और आपस में बैठक कर जनता से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के निर्देश दिए थे। सिंधिया की कमलनाथ से मुलाकात के पीछे का कारण उनके क्षेत्र से संबंधित विकास कार्य बताए जा रहे हैं, जिन्हें गति दिलाने के लिए वे राजधानी भोपाल गए थे। स्पष्ट है कि दोनों नेताओं के बीच सरकार बनने के बाद से ही तल्खी रही है।
पिछले दिनों सिंधिया समर्थक मंत्री उमंग सिंगार ने दिग्विजय का खुलकर विरोध और कमलनाथ का समर्थन किया था। दिग्विजय की मंत्रियों को लिखी चिट्ठी और हिसाब मांगना भी कमलनाथ को अखर गया था। जिसकी शिकायत उन्होंने नेतृत्व से की थी।
सिंधिया और कमलनाथ की मुलाकात के बाद राज्य में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। कमलनाथ अध्यक्ष पद छोड़ने की बात पहले कह चुके हैं। ऐसे में सिंधिया या उनके किसी समर्थक का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आने पर कमलनाथ समर्थन कर सकते हैं।
अगर कमलनाथ और सिंधिया में सामंजस्य स्थापित होता है और दोनो नेता मिलकर काम करते हैं तो निश्चित तौर पर पार्टी का मध्यप्रदेश में सारा चिंता खत्म हो जाएगा।