मोदी खुद ही बता रहे कि उनकी सरकार लाचार और कमजोर है

मज़बूर सरकार और मज़बूत सरकार…..

अपने चिरपरिचित अंदाज़ में मोदी जी रामलीला मैदान में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहें थें।

मज़बूर सरकार और मज़बूत सरकार का फ़र्क बताते हुए महागठबंधन पर हमला बोल रहे थें …….इस गठबंधन का उद्देश्य केवल एक व्यक्ति के खिलाफ खड़ा होना है……

मोदी जी ……यदि ये पार्टिया एक जुट हो रहीं है तो वो एक व्यक्ति के विरुद्ध नही बल्कि एक तानाशाही व्यक्ति के विरूद्ध साथ आ रहीं है जैसे 1977 में इंदिरा गांघी की तानाशाही के खिलाफ पूरा विपक्ष एक हो गया था यहां तक कि जनसंघ भी।

मोदी जी कहते हैं ……ये दुश्मनों का गठबंधन है…

मोदी जी ……जिंदगी भर कश्मीर में पीडीपी को कोसने वाले और उन्हें अलगाववादी समर्थक तक मानने के बावजूद उन्ही के साथ बीजेपी सरकार चला चूँकि है। आपके इस जुगलबंदी को क्या नाम दिया जाए ?

सल्तनत और संविधान में आस्था रखने वालों के बीच लड़ाई……

मोदी जी ……आ गए न अपने रंग में । गलती आपकी नही है । आरएसएस की मानसिक ग्रंथि ही मध्यकाल पर अटकी हुई है जो रह – रह कर बाहर आ जाती है। मुस्लिम विरोध के आधर पर टिकी हुई यह थ्यूरी ही आपलोगो के लिए रामबाण है। कल अमित शाह ने भी 2019 के चुनाव की तुलना पानीपत की तीसरी लड़ाई से कर मुस्लिम डर दिखाने की कोशिश की थी।

एक भी आरोप मेरे ऊपर नही लगा….

साहेब…..आपकी आँखों का पानी ढल गया है क्या जो ऐसा कह रहे हैं ? राफेल और आलोक वर्मा अभी ताज़ा मामला ही है।

बीजेपी शासन ने साबित कर दिया है कि देश मे बदलाव आया है ………

साहेब …….ये बात आपने सही कही….. बदलाव तो बहुत आया है।अब भीड़ ही मृत्यदंड की सजा दे सकती है। जज कभी भी लोया बना दिये जा सकते हैं । सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी जनता के सामने आना पड़ा , अपना दर्द बताने के लिए। संवैधानिक संस्थाओं को एक पार्टी का कार्यालय बना दिया गया है। पहले की सरकारें , सरकारी बजट का पैसा खाती थी अब तो आरबीआई तक को लूट लिया गया। मीडिया की जो हालत की गई है वो सबके सामने है। नोटबन्दी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। कुछ दिन पहले ही एक आंकड़ा आया है कि देश मे औद्योगिक विकास दर पिछले 17 महीनों में निचले स्तर पर गिरकर 0.5% पर पहुंच गया है। पिछले एक वर्ष में एक करोड़ 9 लाख लोगो ने अपनी नौकरियां खोई हैं। कृषि चौपट हो चुकि है जिसका परिणाम बीजेपी तीन राज्यो में विधानसभा चुनाव में झेल चुकी है।

साहेब ….एक तानाशाहीपूर्ण सरकार जो देश को गर्त में ले जा रही है और धीरे ,- धीरे लोकतंत्र को खत्म कर रही है , अर्थव्यवस्था को चौपट कर रही है । सामाजिक ताने – बाने को तार – तार कर रही है यदि यही मज़बूत सरकार होती है तो शायद देश की जनता एक लोकतांत्रिक मज़बूर सरकार ही चाहेगी क्यों कि सरकार भले कमज़ोर होगी लेकिन देश तो कमज़ोर नही होगा।

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