योगी आदित्यनाथ लगातार बसों पर राजनीति कर रहे है वो लगातार कांग्रेस के किये जा रहे मजदूर हितैषी कामों मे अडंगा अडाने का काम कर रहे है पहले प्रियंका द्वारा भेजी 1000 बसों को वापस भेजकर ओछी राजनीति की गयी तो अब कोटा मे छात्रों को लेकर बस विवाद मे देश को उलझाने की कोशिश की जा रही है।
हमारे लिये जानने की जरुरत है कि आखिर कोटा बस विवाद का फैक्ट क्या हैं? जानते है एक एक प्वाइंट सेयूपी सरकार ने बसों को राजस्थान भेजा कोटा से छात्र – छात्राओं को लाने के लिए।
-यूपी सरकार ने जो बसों की लिस्ट भेजी उसमें काफी सारे नम्बर आटो व स्कूटर के थे।
-राजस्थान सरकार ने इस पर कोई राजनीति नहीं की और बसों को आने दिया।
यूपी सरकार ने इतनी अव्यवस्था से बसें भेजी थीं कि राजस्थान में ही उनका डीजल ख़तम हो गया और राजस्थान परिवहन निगम ने उनका डीजल डलवाया।
यूपी सरकार ने 18 अप्रैल को राजस्थान परिवहन निगम को पत्र लिखकर कहा कि आप हमें खर्च का ब्यौरा दीजिए हम भुगतान करेंगे।
2 मई को यूपी सरकार ने डीजल का भुगतान किया।
8 मई को राजस्थान सरकार ने खर्च का पूरा ब्यौरा यूपी सरकार के कहे अनुसार यूपी परिवहन निगम को सौंप दिया।
-कांग्रेस द्वारा श्रमिकों के लिए बसें उपलब्ध कराने के सवाल पर यूपी सरकार भड़क गई और कहने लगी कि कांग्रेस सरकार पैसा मांग रही है।
-जबकि खुद योगी सरकार ने राजस्थान परिवहन निगम को पत्र लिखकर खर्च का ब्यौरा मांगा था।
-इसी दौरान देखने वाली बात यह है कि यूपी सरकार के उप मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों ने कांग्रेस को कोटा में मदद न करने के चलते गालियां दीं।
-जबकि सत्य ये है कि यूपी सरकार को राजस्थान परिवहन ने लगभग 100 बसें व डीजल उपलब्ध कराया था और उसका खर्च का ब्यौरा यूपी सरकार के कहने पर यूपी सरकार को दिया गया था।
-कोटा में पढ़ रहे छात्र – छात्राओं को बसों से लाने पर कांग्रेस ने प्रशंसा करते हुए कहा था कि मजदूरों के लिए भी इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए।
लेकिन योगी सरकार ने श्रमिकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की और श्रमिक, गर्भवती स्त्रियां सड़क पर पैदल चलती रहीं।