राजस्थान में कांग्रेस सरकार भले ही बन गयी लेकिन आज भी प्रदेश मे पायलट व गहलोत की खेमेबाजी जारी है जिसका खामियाजा लोकसभा चुनावो मे कांग्रेस को भुगतना पडा हैं
सोशल मीडिया पर अब लडाई आम हो चुकी है तू पायलट की मै गहलोत का.. नही नही गहलोत की वजह से सरकार बनी है… नही नही पायलट के संघर्ष की बदौलत कांग्रेस ने सरकार बनाई ऐसी पोस्टे शीर्ष पदो पर बैठे लोग भी अब करने लगे है कोई कहता है कि गहलोत की दूसरों की मेहनत पर सत्ता मे आने की आदत है तो कोई कहता है कि पायलट किसी विशेष जाति का नेता है
राज्य सरकार की योजनाओ को जनता तक पहुंचाने का काम आईटी सेल का होता है लेकिन राजस्थान आईटी सेल पायलट को महत्तव देती है.. पहले तो राजस्थान सोशल मीडिया कांग्रेस प्रमुख राज्य के मुखिया को ट्वीटर पर फॉलो तक नही करती थी लेकिन जब मीडिया मे बात आयी तब फोलो करना शुरू तो किया लेकिन गहलोत के ट्वीट की रिच को वो नही बढा पायी
गहलोत पायलट की लडाई मे कांग्रेस ने राजस्थान में लोकसभा चुनावो में हार का स्वाद चखा लेकिन फिर भी दोनो नेता अपनी जिद पर अडे है ना ही गहलोत ने अपना पद छोडा और ना ही पायलट कुर्सी से दूर हुए दोनो की वजह से संगठन मे नुकसान कांग्रेस का हुआ है
आज सोशल मीडिया पर अभी ये बहस चल रही है कि विस चुनाव मे जीत किस नेता की वजह से हुई? अगर कांग्रेस ने समय रहते तीसरे नेता को प्रदेश की कमान नही सौंपी तो आने वाले समय मे राजस्थान मे भी कांग्रेस का वो हाल होने वाला है जो आज बिहार व यूपी में है ये राजनीतिक विश्लेषको का मानना हैं