अब झूठ फैलाकर वापसी करेगे मोदी?

बीजेपी के दिग्गज नेता परोस रहे है सोशल मीडिया पर झूठ –

वैसे तो बीजेपी आईटी सेल झूठ तथा फर्जी बाते वायरल करने मे महारत हासिल कर बैठी है लेकिन जब कोई जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि झूठ फैलाना लग जाये तब लोकतंत्र के लिये काले दिन जैसा वो होता हैं

सोशल मीडिया पर कांग्रेस बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है बीजेपी आईटी सेल को बहुत आसानी से पछाड कांग्रेस सोशल मीडिया पर शीर्ष पर काबिज हो रही है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मुख्य ध्येय किसान, तथा युवाओ के रोजगार का है तो वही सोशल मीडिया पर कांग्रेस मुद्दे उठा रही है

जब बीजेपी कांग्रेस की बराबरी नही कर पा रही थी तब उन्होने अपना खेल फेक न्यूज फैलाकर शुरु कर दिया लेकिन देश की सेना पर राजनीति करना कहा तक उचित हैं ?

सोशल मीडिया पर एक पेपर कटिंग तेजी से वायरल हो रही है जिसमे बताया जा रहा है कि मोदी के साढे चार सालों मे देश की सेना सबसे अधिक दुश्मनो को मार गिराया हैं

सोशल मीडिया पर वायरल कुछ इस प्रकार का मैसेज हो रहा हैं मोदी के 4.5 साल का शासन 
61 आम लोग मरे 
200 जवान शहीद ओर 
1701 आतंकी मारे

और

मनमोहन सिंह का 10 साल का शासन
1788 आम लोग मरे 
1177 जवान शहीद ओर सिर्फ
241 आतंकी मारे

अब देश बताये कौन है देश का असली सुरक्षा कवच और रक्षक जिस पर भारत भरोसा करे

इसे बीजेपी के बडे बडे नेता परेश रावल ने भी ट्वीट किया हैं लेकिन इसकी सच्चाई बहुत अलग हैं

इस दावे की सच्चाई पता करने के लिए हमने गृह मंत्रालय की वेबसाइट वेबसाइट पर सर्च किया. दो डॉक्यूमेंट्स ऐसे थे जो इस वायरल मेसेज की सच्चाई बता रहे थे. 20 दिसंबर, 2017 को समाजवादी पार्टी से पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने गृह मंत्रालय से 3 सवाल पूछे थे. पहले सवाल में पूछा गया कि क्या ये सच है कि नई सरकार के आने के बाद कश्मीर घाटी में शहीद होने वाले सुरक्षाबलों के जवानों की संख्या बढ़ गई है. दूसरे सवाल में पूछा कि अगर ये सच है तो ऐसा क्यों है. और तीसरे सवाल में कश्मीर घाटी में हुई सभी आतंकी घटनाओं और उनमें शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों की संख्या पूछी गई. इन सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने साल 2004 (जिसमें मई तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी) से 14 दिसंबर, 2017 तक के आंकड़े दिए. इन आंकड़ों में स्पष्ट दिख रहा है कि सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं 2004 में हुईं थीं. और इसी साल सबसे ज्यादा आतंकी मारे गए थे. और अगले सालों में ये संख्या कम होती गई. 2013 में आतंकी हमलों और इनमें मारे गए आतंकियों की संख्या भी न्यूनतम पर पहुंच गई. 2014 से फिर इसमें बढ़ोत्तरी हुई. साथ ही, सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने की संख्या भी 2004 में सबसे ज्यादा 281 सुरक्षाकर्मी शहीद हए. 2012 में ये संख्या सबसे कम 15 थी. 2013 के बाद से ये संख्या फिर बढ़ गई. ये सभी आंकड़े नीचे देख सकते हैं.

गृह मंत्रालय की साल 2017-18 की एनुअल रिपोर्ट में 31 दिसंबर, 2017 तक के आंकड़े हैं. इसमें 2017 में 342 आतंकी घटनाएं हुई हैं. इनमें 80 जवान शहीद हए. 40 आम नागरिक मारे गए और 213 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया.

गृह मंत्रालय की एनुअल रिपोर्ट.

साउथ एशिया टेरिरिज्म पोर्टल पर साल 2004 से साल 2018 तक भारत में हुई सभी आतंकी घटनाओं और उनमें शहीद हुए सैनिकों और मारे गए आतंकियों और आम नागरिकों का डेटा है. ये डेटा कहीं भी वायरल मेसेज में दिए डेटा से मेल नहीं खाता.

इस प्रकार से एक बार फिर से साबित होता है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिये फर्जी खबरौ का सहारा ले रही है पेपर कटिंग के साथ हेरफेर कर आमजनता को गुमराह करने का बीजेपी ने काम शुरू किया है

आप हमारी टीम के किये वायरल सच को आप हर भारतीय तक पहुचाकर झूठ का पर्दाफ़ाश करने मे सहयोग करे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here