कांग्रेस ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि लोकसभा में पार्टी का नेता किन्हें नियुक्त किया जाए। यह मुद्दा अब तक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास लंबित है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। संसद का सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है और ऐसे में जहां तक सदन में विपक्षी दलों के बीच समन्वय स्थापित करने की बात है, विपक्ष उधेड़-बुन की स्थिति में नजर आ रहा है।
दरअसल, अहम मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा के लिए उसकी कोई बैठक नहीं हुई है।
साथ ही, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि विपक्षी दलों की इस तरह की बैठक कब होगी। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि ज्यादातर विपक्षी दलों को लोकसभा में अपने नेता को लेकर फैसला करना अभी बाकी है और इन प्रक्रियाओं के पूरी होने के बाद एक बैठक आयोजित की जाएगी।
खुद कांग्रेस ने भी इस बारे में फैसला नहीं किया है कि वह लोकसभा में अपना नेता किन्हें नियुक्त करेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”अब तक, कोई फैसला नहीं किया गया है और यह मुद्दा नेतृत्व के पास अब तक लंबित है। ”
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और केरल से पार्टी के नेता के. सुरेश रविवार को सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए। इससे ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन दोनों नेताओं में से एक को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया जा सकता है।
चौधरी और सुरेश के साथ-साथ कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और तिरूवनंतपुरम से लगातार तीन बार सांसद शशि थरूर भी लोकसभा में कांग्रेस के नेता पद की दौड़ में शामिल हैं। इससे पहले ये कयास लगाए जा रहे थे राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश के बाद वह (राहुल) लोकसभा में यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं लेकिन उनके अध्यक्ष पद पर बने रहने के बारे में कांग्रेस के जोर देने के बाद इस चर्चा पर विराम लग गया है।
थरूर ने इससे पहले अपने बारे में कहा था कि वह लोकसभा में कांग्रेस के नेता पद की पेशकश किए जाने पर यह जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं। विपक्ष ने 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से कोई बैठक नहीं की है। आमचुनाव में भाजपा नीत राजग ने शानदार जीत हासिल की। नवगठित 17 वीं लोकसभा का प्रथम सत्र 17 जून से 26 जुलाई तक चलेगा।