कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का निधन कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है क्योंकि कांग्रेस को दिल्ली में उनके जैसा नेता मिल पाना असंभव है क्योंकि शीला दीक्षित ना सिर्फ विकास की पर्याय थी बल्कि संघर्ष करने के लिए और मुद्दों के लिए लड़ने वाली नेता के रूप में पहचानी जाती थी इसलिए जब कांग्रेस को संघर्ष की जरूरत थी तो ऐसे में शीला दीक्षित का मार्गदर्शन ही कांग्रेस के लिए काफी था और जब अब हमारे बीच नहीं रहीं तो कांग्रेस को आने दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बात का काफी कमी खलेगा।
81 साल की उम्र में शीला दीक्षित का निधन हो गया। बीमार रहने के बाबजूद भी वो लगातार सक्रिय राजनीति से जुड़ी हुई थी। दिल्ली में कांग्रेस को बदल कर विधानसभा में फिर एक बार विजय बनाने के लिए वो बदलाव कर रही थी।
शीला दीक्षित शुरू से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़ी थीं और अपनी आखिरी सांस तक शीला दीक्षित कांग्रेस के लिए फिक्रमंद थीं. वहीं शीला दीक्षित का आखिरी संदेश भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए ही था. अपने आखिरी संदेश में शीला दीक्षित ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी कार्यालय के लिए बाहर प्रदर्शन करने के लिए कहा था.
अपने आखिरी संदेश में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा था कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी और प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध खत्म नहीं होता है तो वे बीजेपी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करें.
बीमार होने के बाबजूद शीला दीक्षित राजनीति के हर मुद्दे पर नजर बनाए हुए थी तभी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीन विवाद में 10 लोगों की मौत होने के बाद जब पीड़ितों से मिलने के लिए प्रियंका गांधी यूपी गई और यूपी प्रशासन ने प्रियंका को पीड़ित परिवारों से मिलने से रोका और उन्हें हिरासत में ले लिया। इसकी जानकारी जैसे ही शीला दीक्षित को मिली उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बीजेपी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने के लिए कहा और ये कार्यकर्ताओं के लिए उनका आखरी सन्देश बनकर रह गया ब
शीला दीक्षित के सरकार में मंत्री रही किरण वालिया के मुताबिक, ‘उन्होंने अपने आखिरी संदेश में कार्यकर्ताओं से बीजेपी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने को कहा था. वह प्रदर्शन करने के लिए मौजूद नहीं थीं. इसलिए उनकी जगह प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हारुन यूसुफ को नेतृत्व करना था. शीला दीक्षित ने कहा था कि अगर यूपी सरकार और प्रियंका गांधी के बीच गतिरोध खत्म न हो तो कांग्रेस कार्यकर्ता बीजेपी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करें.’
शीला दीक्षित का ये सन्देश बताता है कि वो मुद्दों को कैसे राजनीति में भुनाती थी और विपक्षी दलों के खिलाफ हल्ला बोलती थी। भले ये आखरी सन्देश रहा हो पर कांग्रेस अगर विपक्षी दलों के खिलाफ दिल्ली में एकजुटता के साथ लड़ती है तो वो शीला दीक्षित के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।