
मणिपुर में भाजपा सरकार में शामिल विधायको का एक वर्ग सरकार से नाराज चल रहा है ऐसे में वहां की भाजपा सरकार का संकट फिर से बढ़ने लगा है। इस बार पार्टी के 21 में से 17 विधायकों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पत्र लिखा है। इन नाराज विधायकों ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्र में नाराज विधायकों ने कई मुद्दों पर गंभीर सवाल उठाते हुए आलाकमान को इसकी जानकारी दी है।
नाराजगी इतना अधिक बढ़ गया है मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों को पार्टी की बैठक को स्थगित करना पड़ा है। मिली जानकारी के अनुसार जल्द नाराज लोगों का एक शिष्टमंडल पार्टी नेतृत्व से मिलने दिल्ली जा सकता है। कांग्रेस के आठ लोगों को अपने में शामिल करने के फैसले के बाद से ही नाराजगी बढ़ने लगी थी।
मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर एक बैठक बुलायी जिसमें कैबिनेट के 39 में से सिर्फ 9 मंत्री ही उपस्थित हुए। जिस कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा।
मणिपुर में भाजपा ने एनपीपी और एनपीएफ के चार विधायकों के अलावा तृणमूल, लोजपा और एक निर्दलीय विधायक को मिलाकर बहुमत हासिल किया था। बाद में कांग्रेस के आठ विधायक भी उनके खेमे में आ गये हैं। इन्हीं मिलकर विधानसभा में सरकार के पक्ष में विधायकों की संख्या पर्याप्त होने के बाद भी भाजपा के अपने 21 में से 17 विधायक मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे हैं।
समझा जा रहा है कि मणिपुर की गैर राजनीतिक संगठनों के एक समूह यूनाइटेड कमेटी मणिपुर के गठन के बाद से नगा समझौते पर उठ रहे सवालों को लेकर सभी को परेशानी है। यह राजनीतिक समूह हाल के दिनों में काफी शक्तिशाली हो चुका है। जो यहां साफ तौर पर जातीय अथवा सामुदायिक लीक पर हो रही राजनीति का विरोध कर रहे हैं। इससे भी विधायकों को अपने भविष्य पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है।
कुल मिलाकर मणिपुर में बीजेपी सरकार और बीजेपी के लिए मुश्किल कम नही हो रही। और ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को तोड़ने में बीजेपी खुद मुश्किल मोल ले ली है।