अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून को भाजपा सरकार के सभी मंत्रियों , सांसद और विधायकों ने कहीं न कहीं अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई।
PM मोदी ने भी झारखंड में योग करके लोगों को स्वस्थ रहने और योग करने की सलाह दी। जाहिर सी बात है देश के प्रधानमंत्री है दुनिया के सबसे ताकतवर नेता हैं ( भारतीय मीडिया के अनुसार ) लोग इनकी बात को कैसे टाल सकते हैं।
विश्व योग दिवस पर PM मोदी के ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक 32 ट्वीट किए गए,सभी ज्ञान के भंडार लोगों के लिए ट्वीटर के ज़रिए खोल दिये गए।
हाल की ही बात है क्रिकेट वर्ल्ड में भारत को झटका के लिए एक बुरी खबर आई की भारत के सलामी बल्लेबाज उंगली में चोट के कारण वर्ल्ड कप से बाहर हो गए हैं PM मोदी जी ने तुरन्त ट्वीट कर उस पर सवेंदना जता दी। शिखर धवन की उंगली को कुछ तो राहत पहुंचाई ही होगी उस ट्वीट ने आखिर देश के प्रधानमंत्री का ट्वीट था भई। मास्टरस्ट्रोक इसे ही तो कहते हैं।
मोदी जी अपने ट्वीट के लिए जाने जाते हैं विदेश यात्रा पर हो तो ट्वीट के ज़रिए सारी जानकारी देना,कोई मीटिंग हो तो ट्वीट,जापान के प्रधानमंत्री के साथ झूला झूलने पर ट्वीट, और भी कई अहम मौके है गिनाना मुश्किल है।इसके लिए आप मोदी जी के ट्विटर हैंडल पर जाकर देख सकते हैं,किन विषय पर वे ट्वीट करना पसंद करते हैं।
वैसे तो PM मोदी के मेमोरी का कोई जवाब नही है। डॉ मनमोहन सिंह से लेकर नेहरू जी तक की सारी बातें याद है उन्हें,उनकी मेमोरी पर हमें कोई शक नही है,पर हमने सोचा क्या पता ध्यान ना गया हो क्योंकि चुनाव तो अभी आने नही है तो याद दिला देते हैं।
साहब। बिहार में मुज़्ज़फरपुर नामक एक जगह है जहां पिछले 20 दिनों में 150 से ज्यादा माओं की कोख सूनी हो गयी है,वहां सत्ता की गाड़ी के 2 पहिये आपके भी हैं,क्या आपको 20 दिन में 10 मिनट का भी समय नही मिला वहां जाने का,थोड़ा श्रीलंका जाने का प्लान पोस्टपोन कर देते साहब। आपके ट्वीट में इतनी ताकत है कि अगर आप एक ट्वीट करदें तो बिहार में अगले दिन सरकार बदल जाती है,आप बंगाल में पुल गिरने को लेकर एक ट्वीट करदें तो वहां की राजनीति में कोहराम मच जाता है जहां एक सांसद नही था आपका 18 हो जाते हैं,इतना दम है आपके ट्वीट में साहब अब आप गरीब मां के बेटे नही रहे शायद,अगर आपको दर्द होता एहसास होता तो एक ट्वीट ही कर दिया होता उन बच्चों की आत्मा को शांति मिल जाती,उन बेवा माओं के दिलों को थोड़ी ठंडक मिल जाती,जो मंत्री मीटिंग में ऊँघते हुए नजर आ रहे थे,वो भागते हुए नजर आते,जो मंत्री मैच का स्कोर पूछते हुए नजर आ रहे थे,वो इस समस्या से निपटने के लिए कोई योजना बनाते हुए नजर आते।
लोगों ने आपको वोट सिर्फ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ही नही दिया था,30 मई को शपथ लेने के बाद आपने 134 ट्वीट किए,हर मुद्दे पर आप ट्वीट करते हैं पर जब कोई रेल दुर्घटना,गोरखपुर मेडिकल कॉलेज, ऐसी घटनाएं होती है तो आप क्यों चुप रहते हैं।आप तो ऐसे ना थे साहब।
बहरहाल,मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है वो हम 20 दिनों से देख रहे हैं,तो पूरे देश में क्या हाल होगा इस स्थिति से हम इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
कुछ सवाल जो ज़ेहन में हैं जो करने ज़रूरी भी हैं?
- जिस “आयुष्मान भारत” योजना पर चिल्ला चिल्ला कर वोट मांगे गए थे’ अगर वो कारगर योजना थी तो फिर इतनी मौतें क्यों?
- चुनाव में नए हॉस्पिटल, नए एम्स खोलने,बेहतर इलाज और तकनीक के दावे किए गए थे,तो फिर अस्पतालों में इलाज क्यों नहीं?
- इस मामले की जिम्मेदारी किसकी बनती है?बिहार सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय की तो फिर उनका इस्तीफा अब तक क्यों नहीं?
( लेख के अधिकांश भाग सोशल मीडिया पर वायरल एक लेख का हिस्सा है )