
किसी भी देश के प्रधानमंत्री को अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए कैसी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए इतना तो पता होना चाहिए।
प्रधानमंत्री का पद बेहद गरिमा वाला है और इस पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को किसी के लिए भी बेहद संतुलित और मर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए,जोकी हमारे मोदीजी को नही आता।
लेकिन जब आपको यह पता चले कि देश के प्रधानमंत्री ने इसी पद पर रहे व्यक्ति के लिए बहुत तीख़े शब्दों का इस्तेमाल किया है तो भी आप एक बार को कहेंगे कि राजनीति में यह चलता रहता है। लेकिन जब आपको यह पता चलेगा कि जिस व्यक्ति के लिए तीख़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, वह तो अब इस दुनिया में हैं ही नहीं और उनकी मृत्यु एक आतंकवादी हमले में हुई थी तो आपको ज़रूर ग़ुस्सा आएगा। आप कहेंगे कि प्रधानमंत्री जी, कम से कम किसी मृत व्यक्ति को राजनीतिक निशाना बनाते समय प्रधानमंत्री पद की गरिमा और भाषा का थोड़ा तो ध्यान रख लेते।
हम यह बात क्यों कर रहे हैं, आइए आपको बताते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुई एक रैली में राहुल गाँधी पर तंज कसते हुए राजीव गाँधी के लिए कहा, ‘आपके पिताजी को आपके राज दरबारियों ने गाजे-बाजे के साथ मिस्टर क्लीन बना दिया था। लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नम्बर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी का राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियंका गाँधी ने जोरदार जवाब दिया।राहुल गाँधी ने ट्वीट किया, ‘मोदीजी, लड़ाई ख़त्म हो चुकी है और आपके कर्म आपका इंतजार कर रहे हैं। ख़ुद के बारे में अपनी सोच को मेरे पिता पर थोपने से भी आप बच नहीं पाएँगे। मेरी तरफ़ से प्यार और झप्पी – राहुल।’
इसके बाद प्रियंका गाँधी ने भी ट्वीट कर मोदी पर हमला बोला। प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘शहीदों के नाम पर वोट माँगकर उनकी शहादत को अपमानित करने वाले प्रधानमंत्री ने कल अपनी बेलगाम सनक में एक नेक और पाक इंसान की शहादत का निरादर किया
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी का जोरदार विरोध किया। रविवार को उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, ”मोदी ने 1991 में मारे गए एक व्यक्ति स्व राजीव गाँधी को बदनाम करके औचित्य और शालीनता की सभी हदें पार कर दी हैं। क्या मोदी जी कुछ पढ़ते भी हैं? क्या वह जानते हैं कि राजीव गाँधी के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूरी तरह से निराधार क़रार दिया था। क्या मोदी जानते हैं कि बीजेपी सरकार ने हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर नहीं करने का फ़ैसला किया था?”
अब सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाषा के इतने निचले स्तर तक जाने की क्या ज़रूरत आन पड़ी? इसका कारण यह भी हो सकता है कि मोदी जी को लग रहा हो कि वह चुनाव हार रहे हैं। क्योंकि हताशा और निराशा में नेता क्या सामान्य व्यक्ति भी भद्दे और ऊल-जूलूल बयान दे देते हैं।
एक और सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री ने ऐसा पहली बार किया है? बता दें कि मोदी इससे पहले भी कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं जिन्हें लेकर ख़ासा विवाद हो चुका है।
मोदी जी जिस पद पर है उनको उस पद की गरिमा का जरा भी एहसास नही है।