झाबुआ से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को बनाया प्रत्याशी

देश के कई राज्यों में उप चुनाव की घोषणा होने के बाद अब राजनीतिक दल वहां के प्रत्याशियों की घोषणा कर रहे हैं पहले पंजाब के प्रत्याशियों की घोषणा करने के बाद अब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और ओड़िशा में भी होने वाले उपचुनाव के प्रत्याशी की घोषणा कर दी है।

उपचुनाव के लिए कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. मध्यप्रदेश के झाबुआ से कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, ओडिशा के बीजेपुर सीट से दिलीप कुमार पांडा को मैदान में उतारा है. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित झाबुआ सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिले की प्रक्रिया चल रही है.

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में 109 सीटें जीती थीं लेकिन सांसद बनने के बाद गुमानसिंह डामोर ने इस्तीफा दे दिया जिसके बाद यह सीट खाली हो गई. वहीं, कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। इसके अलावा 4 निर्दलीय, एक सपा और 2 बसपा विधायक हैं।

सत्तारूढ़ कांग्रेस जहां हर हाल में यह सीट जीतकर विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से खुद को मजबूत करेगी तो वही बीजेपी भी इस सीट को अपने पास बरकरार रखने का भरपूर प्रयास करेगी।

दोनों ही राजनीतिक दल झाबुआ सीट पर जीत के साथ विधानसभा में अपनी एक सीट बढ़ाने की कोशिश करेंगे.

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक ने भूरिया को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा की है. डामोर ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था. यह चुनाव राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बाहरी समर्थन से चल रही है. यहां की 230 विधायकों की विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और उसके पास पूर्ण बहुमत के लिए दो विधायक कम हैं. अगर ऐसे में कांग्रेस या सीट जीत जाती है तो कांग्रेस के 115 विधायक हो जाएंगे और कमलनाथ आसानी से सरकार चला पाएंगे।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने देश के अलग-अलग राज्यों की रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव कराने का ऐलान किया है. देश के अलग-अलग राज्यों की 64 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि पिछले चुनाव में बेटे को विधानसभा सीट पर उतरवाने वाले कांतिलाल भूरिया अबकी खुद इस विधानसभा सीट को जीत पाते हैं अथवा फिर एक बार बीजेपी इस सीट को बरकरार रख पाने में कामयाब होती है।

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