केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में अब किसान महापंचायत के जरिए किसानों को एकजुट कर सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान संगठन और विपक्षी पार्टियों एकजुट होती हुई नजर आ रही है।
हरियाणा , उत्तराखंड , उत्तर प्रदेश और राजस्थान में लगातार किसान महापंचायत का आयोजन हो रहा है।
राजस्थान के दौसा में आयोजित किसान महापंचायत में कांग्रेस के कद्दावर नेता और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार कुछ उद्योगपतियों के लिये पूरे कृषक समुदाय के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है।
सचिन पायलट ने सवाल उठाया कि देश भर में विरोध और आंदोलन के बावजूद सरकार इन कानूनों को किस मजबूरी के कारण वापस नहीं ले रही।
पायलट ने कहा कि इन कानूनों को बनाते समय किसी भी राज्य सरकार या किसान संगठन से बात नहीं की गयी और जल्दबाजी में तीनों कानून सदन में पारित कर देश पर थोप दिया।
पायलट ने कहा कि ये कृषि कानून जिसे केंद्र सरकार किसानों के हित में बताती है कि उनका विरोध पूरे देश में हो रहा है और दिल्ली की सीमाओं पर दो ढाई महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों ने गांधीवादी होने का परिचय दिया है। पायलट के अनुसार,’ केंद्र सरकार ने 11 बार किसानेां को वार्ता के लिए बुलाया लेकिन लेकिन केंद्र सरकार की क्या मकाबूरी है, ऐसी क्या विवशता है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेना चाहती। उन्होंने आरोप लगाया कि चंद उद्योगपतियों की वजह से पूरे कृषक समुदाय के भविष्य को को अंधकार में धकेला जा रहा है।
पायलट ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर देश के 22 राजनैतिक दलों ने अपने वैचारिक मतभेदों को बुलाते हुए एकस्वर में इन कानूनों का विरोध किया है और कहा है कि देश के किसान के लिए हम सब एकजुटता से खड़े रहेंगे।
पायलट ने कहा कि मैं राहुल गांधी समेत उन सभी नेताओं को धन्यवाद देता हूं जो किसानों की आवाज को लगातार बुलंद कर केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि केंद्र सरकार इन काले कानून को वापस ले।