कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीहोर में एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हमें स्वीकार करने में कभी भी एतराज नहीं है कि हमारी कांग्रेस पार्टी का संगठन जैसा होना चाहिए, वैसा नहीं है. हमारा जो इलेक्शन मैनेजमेंट है पोलिंग के दिन उसमें भी भारी कमी रहती है. उस प्रकार की तैयारी हमारी नहीं रहती जैसी होनी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा है कि जनता हमें वोट देना चाहती है, लेकिन हमारे संगठन की कमी की वजह से पूरा नहीं कर पाते हैं. इसलिए कमलनाथ जी ने पूरे प्रदेश की विधानसभा सीटों को सही तरीके से सेक्टर-मंडल में बांटा है. विधानसभा क्षेत्र की हारी हुई सीटों पर प्रदेश भर में दौरा कर रिपोर्ट तैयार कर कमलनाथ को सौंपी जाएगी.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बुधवार को सीहोर में थे. उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस की सरकार बन गई थी, लेकिन कुछ लोग बिक गए. जो गरीब विधायक थे वे नहीं बिके. लेकिन जो राजा महाराजा टाइप के लोग थे वह बिक गए, जिसके कारण सरकार चली गई.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि, अगर कांग्रेस पार्टी के सभी लोग एकजुट होते तो किसानों का कर्जा माफ हो जाता, बिजली की दरें भी नहीं बढ़ती. इस बार फिर से जनता परिवर्तन चाहती है. इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में बनेगी.
दिग्विजय सिंह ने बताया कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को लगातार पराजय मिल रही है उन विधानसभा क्षेत्रों में जाकर वह स्वयं कार्यकर्ताओं की बात सुन रहे हैं. कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरी तरह एकजुट है और चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि मतदान के दिन कांग्रेस इतनी मेहनत नहीं कर पाती जितनी करनी चाहिए. लेकिन इस बार पूरी मेहनत की जाएगी.
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियां जोरों पर हैं. कमलनाथ और दिग्विजय दोनों एकजुट होकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं और दोनों ही नेता दावे कर रहे हैं कि वह इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में कामयाब होंगे. दिग्विजय सिंह ने तो यहां तक कह दिया है कि कमलनाथ ही होंगे कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार.
आपको बता दें कि इससे पहले के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर दिखाई देती थी मध्यप्रदेश में. लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा चुके है और कांग्रेस पूरी तरीके से एकजुट दिखाई दे रही है. कांग्रेस में इस बार गुटबाजी का नामोनिशान मध्यप्रदेश में नहीं दिखाई दे रहा है. इसका लाभ निश्चित तौर पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिल सकता है.