कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी जब से राजनीति में आई है तब से उन्होंने यह प्रयास किया है कि राजनीति में छवि को एक नए ढंग से गढ़ा जाए और आमजनों के समस्याओं को सुनने का सबसे पहले प्रयास किया जाए इसी सिलसिले में उन्होंने एक बार फिर अपने इस प्रयास को जारी रखा।
दरसल प्रियंका गांधी मंगलवार को उत्तर प्रदेश में मथुरा के पालीखेड़ा गांव में एक सभा को संबोधित करने पहुंची थी लेकिन इस दौरान उन्हें अपना भाषण तब बीच में ही रोकना पड़ा, जब एक रेप पीड़िता की मां भीड़ के बीच से न्याय की मांग के लिए आवाज उठाने लगी. वहां करीब दर्जनभर लोगों ने तख्तियां दिखाते हुए राजस्थान की एक लड़की को राजस्थान सरकार से न्याय दिलाने की मांग कर दी थी।
इस पर जब सुरक्षाकर्मियों व कांग्रेस कार्यकर्ता न्याय की मांग कर रहे इन लोगों को शांत करने के लिए आगे बढ़े, तो प्रियंका गांधी ने खुद मंच से ही उन्हें रोक दिया और खुद तत्काल माइक छोड़कर नीचे आ गईं।
फिर हाथों में तख्तियां थामे पीड़िता की मां से मुलाकात की. साथ ही उनके साथ नारेबाजी कर रहे कुछ अन्य लड़कों और लड़कियों ने भी प्रियंका गांधी को पूरी समस्या बताई. इस पर प्रियंका गांधी ने उसी समय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करके मामले की जानकारी ली और लड़की को न्याय दिलाने को कहा।
प्रियंका ने न्याय की मांग कर रहे पीड़िता के परिजन से बात की और उन्हें मदद का आश्वासन दिया. इसके बाद मामला शांत हो गया और कांग्रेस नेता संबोधित करने वापस मंच पर गईं।
इसके बाद राजस्थान के भरतपुर जिले के जुरहरा थाना क्षेत्र में पिछले वर्ष दर्ज दुष्कर्म मामले में राजस्थान पुलिस ने पीड़िता और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया करवा दी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस से इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाकर कार्रवाई के लिए आवश्यक निर्देश दिए. भरतपुर पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र विश्नोई ने बताया कि पीड़िता के परिजनों को सुरक्षा मुहैया करवा दी गई है. परिजनों ने आरोप लगाया उन्हें डराया धमकाया जा रहा था इसलिए मंगलवार को सुरक्षा उपलब्ध करवाई गई है. जुरहरा थाना में दुष्कर्म का एक मामला पिछले वर्ष अप्रैल में दर्ज करवाया गया था।
वहीं, दूसरी ओर आरोपियों के परिजनों ने भी राजस्थान के पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर प्राथमिकी में दर्ज मामले को झूठा बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है. सूत्रों ने बताया कि दर्ज प्राथमिकी में की गई शिकायत और पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये गये बयानों में विरोधाभास है।
ये तो जांच का विषय है मगर पीड़िता के शिकायत पर जिस प्रकार से प्रियंका ने तुरंत मुख्यमंत्री से इस मामले को लेकर बात की वो निश्चित तौर पर सराहनीय है। क्योंकि जनसभाओं में विरोध करने और काले झंडे दिखाने पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार होते और नेताओं को धमकी देते हमने जरूर देखा था मगर नेता के द्वारा प्रदर्शनकारियों की बात को सुनते देखना निश्चित ही लोकतंत्र के लिए बेहतर है।