कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका ने खुद चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी है लेकिन इस बारे में अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष और उनके भाई राहुल गांधी और प्रियंका की मां सोनिया गांधी को लेना है.
दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद उनके जीत के अंतर को देखते हुए पार्टी के रणनीतिकार सक्रीय हो गए हैं. उनका तर्क है कि जैसे राहुल को अमेठी में बीजेपी घेर रही है, उसी तरह मोदी को वाराणसी में घेरा जाए. हालांकि इस बारे में अभी आखिरी फैसला नहीं हो पाया है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस फैसले से पहले सपा-बसपा से बातचीत कर उनसे इस सीट पर समर्थन की मांग करेगी.
प्रियंका के करीबी सूत्रों ने कहा कि, पिछले चुनाव में मोदी के सामने आप,सपा, बसपा, कांग्रेस चुनाव लड़ी थी. 2014 में मोदी के पक्ष में हवा थी, नरेंद्र मोदी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल से 3,71,784 वोटों के अंतर से जीते. नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले. वहीं, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले. कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. वाराणसी लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर रहे. उन्हें 60,579 मत मिले. उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
प्रियंका के करीबियों का कहना है कि मोदी विरोध का वोट एकजुट करें तो 2014 में ही मोदी की जीत का अंतर खासा घट जाता और अब तो मोदी लहर नहीं है. इसलिए अगर प्रियंका जैसा मज़बूत चेहरा बनाम मोदी चुनाव होता है तो बनारस फतह हो सकता है. लेकिन इसके लिए सपा और बसपा को भी प्रियंका के पक्ष में आना होगा जो काफी हद तक सम्भव है. खुद प्रियंका भी इसको लेकर गंभीर हैं, इसीलिए जब बन्द कमरे में रायबरेली के कार्यकर्ताओं ने किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की मांग की तो प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा कि, बनारस से लड़ जाऊं क्या?