ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की संख्या को कम करने को लेकर प्रियंका गांधी का केंद्र सरकार से तीखा सवाल

देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने जिस प्रकार से देश मे भयावह स्थिति बनाई उसके बाद अब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी सरकार के तैयारियों और सलाहकारों के सुझाव को नजरअंदाज करने को लेकर “जिम्मेदार कौन?” सीरीज के माध्यम से सरकार से तीखी सवाल पूछ रही हैं।

प्रियंका ने अपने ट्वीट में अस्पतालों में ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की संख्या में कमी को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया है। प्रियंका ने कहा कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर घातक सिद्ध हो सकती है और इस दौरान बड़ी संख्या में बेड की आवश्यकता लोगों को पड़ सकती है, इसकी जानकारी होने के बावजूद सरकार ने ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की संख्या कम क्यों कर दी?.

प्रियंका गांधी ने एक वीडियो मैसेज में कहा, ‘सितंबर 2020 से जनवरी 2021 तक मोदी सरकार ने ऑक्सीजन बेड की संख्या 36 फीसदी, आईसीयू बेड की 46 फीसदी, वेंटिलेटर बेड की संख्या 28 फीसदी तक घटा दी. क्यों?’ जबकि देश के हर एक एक्सपर्ट, स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति और उनके खुद के सीरो-सर्वे ने उन्हें चेतावनी दी थी कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों को बेड्स की जरूरत पड़ सकती है’.

प्रियंका ने ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता में आते ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य बजट में 20 प्रतिशत की कटौती कर दी. उन्होंने हर जगह एम्स बनवाने का वादा किया, मगर 2014 से आज तक एक भी AIIMS सक्रिय नहीं हुआ. उन्होंने कहा था कि जिला सुविधाओं को उन्नत किया जाएगा, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं किया.
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना को एक ‘आवश्यक सेवा’ घोषित किया गया और लोग 2023 तक इसे पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं’. प्रियंका ने सवाल किया, ‘क्या भारतीय नागरिकों का स्वास्थ्य सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से कम महत्वपूर्ण है?’.
मालूम हो कि कोविड संकट के दौरान सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ खर्च करने को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार की आलोचना कर रहा है. जिस पर मंत्रालय ने कहा कि महामारी से पहले ही यानी 2019 में पुनर्विकास की योजना बना ली गई थी.


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