
ज्यादा जवान शहीद हो गए तो सवाल उठने लगे कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
मीडिया बार-बार ललकार रहा है, पाकिस्तान को मिटाने की धमकी दे रहा है, खून के बदले खून की बात कर रहा है, फिर से सर्जिकल स्ट्राइक करने की बात कर रहा है लेकिन सरकार और इंटेलिजेंस पर सवाल नहीं कर रहा है।
हालांकि अब इस मामले पर एक ऐसा दस्तावेज वायरल हो रहा है जिसके मुताबिक इंटेलिजेंस ने अलर्ट कर दिया था लेकिन मोदी सरकार की लापरवाही से हमने 40 से ज्यादा जवानों की खो दिया।
दरअसल इस दस्तावेज के मुताबिक, इंटेलिजेंस विभाग ने 8 फरवरी को ही मोदी सरकार को यह सूचना दे दी थी कि सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरूवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 44 जवान शहीद हो गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि दो घायल जवानों के दम तोड़ने के बाद मृतकों की संख्या 44 हो गई। वहीं, 38 जवान घायल हैं। पुलवामा जिले में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर यह हमला गुरुवार 3.15 बजे हुआ। जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी एसयूवी सीआरपीएफ की बस से टकरा दी और उसमें विस्फोट कर दिया। जम्मू-कश्मीर में 1989 में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद से यह सबसे भयावह आतंकी हमला है।
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर गुरूवार को हुए आतंकी हमले में राज्य के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कबूल किया है कि खुफिया एजेंसियों की चूक के चलते इस तरह का हमला करने में आतंकी कामयाब रहे।
ये नकारा मोदी सरकार एक सर्जिकल स्ट्राइक करती है
उसपर फ़िल्म बनवा कर उसका प्रमोशन भी करती है, और फ़िल्म टैक्स फ्री करके अपनी बड़ाई आप करती है।
अभी सिक्किम में एक मेजर की जान गयी थी।
उनके पिता का चेतना झकझोर देने वाला ट्वीट था कि
“एक हफ़्ते से पोस्ट पर बिजली तक भी नहीं थी”।
क़रीब आधा सैकड़ा जवान पुलवामा हमले में शहीद हुए।
ये निकम्मे संसद के अंदर बैठ सिर्फ राजनीति करते हैं।
कश्मीर तो इनके लिए दंगल का अखाड़ा ही बना हुआ है
इधर से भी और उधर से भी।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक पे खुद पीठ थपथपाने वाली सरकार
अंवतिपुरा आतंकी हमले की मीडिया कवरेज और रिपोर्टिंग पर रोक लगाना चाहती है, सच का गला दबाकर सच को रोकना चाहती है।
कश्मीर में हमारे जवान मारे जा रहे और मारे जा रहे हम।
इन दोगलों का क्या, इन्हें तो मुंह उठाकर बयान दे देना है कि “शहादत ख़ाली नहीं जाएगी”।