29 मई 1987 को इस देश के करोडों किसानो,मजदूरों,
शोषित,वंचितों के रहनुमा चो चरण सिंह महा परि निर्वाण को प्राप्त हो गये। सब जानते हैं कि वे वापिस लौट कर नही आ सकते लेकिन उनके विचार और सोच जिन्दा हो जायें यह कामना आज करोडों दुखी किसान कमेरे और एक सुखद और विकसित भारत की कल्पना करने वाले जरुर करते होंगे। चो साहब ने आजाद भारत में दीन दुखियों,किसानो,मजदूरों,शोषित और वंचितों के लिये जो रास्ता बनाया था उस रास्ते की तलाश और जरुरत इस वर्ग के सब लोगो को है। जागीरदारों के खेत जोतने वाले करोडो लोगों को चो साहब ने ताकत हासिल करते ही जमींदार बना दिया। पिछ्डे वर्ग के जो लोग कभी सत्ता मे हिस्सेदारी के लिये सोच भी नही सकते थे उन्हे चो साहब ने हुक्मरान बना दिया। गाव देहात में रहने वाले करोडो तकनीक और हुनर मन्द लोगो की पैरवी करते हुए उन्होँने जिस भारत का सपना देखा, उस सपने ने इन लोगों की जिन्दगी बदल दी। वे कहते थे कि भारत की तरक्की का रास्ता खेत खलिहान और गाव की पग डंडियो से होकर गुजरता है। इसलिये उन्होने कृषि,पशु पालन,चमड़ा,मिट्टी,लकडी,लोहे आदि का काम करने वालों और सेवा के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के लिये नीतियाँ और कानून बनाए। नाइट मेयर ऑफ़ इण्डियन ईकोनॉमी इट्स कॉज ऐण्ड क्योर किताब लिखकर भारत ही नही दुनिया के अर्थ शास्त्र को एक नई दिशा दी। इस पुस्तक को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आज भी पढाया जाता है और उनकी इसी थ्योरी पर शोध करने पर डा अमृत्य सेन को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ नोबेल पुरुस्कार मिला। भारत की राजनीती में किसान कमेरे को मुख्य धुरी में रखने का चो साहब ने अतुलनीय काम किया। और तमाम पिछ्डे वर्ग के लोगो को उन्होने देश की सत्ता में स्थापित किया। आज पटरी से उतर चुकी भारत की अर्थ व्यवस्था केवल उसी महान अर्थ शास्त्री के सिद्धांत पर लौट कर ही जीवन्त हो सकती है। अंधा धुन्ध औधोगिक परिपाटी के वे घोर विरोधी थे।मन,कर्म और वचन से वे किसान कमेरे वर्ग के हित चिंतक थे और उसी में भारत का भविष्य देखते थे। इस वर्ग के लोगों से वे अक्सर कहा करते थे कि अपने परम्परागत पेशे को विकसित और संरक्षित रखो, इसके लिये एक नजर अपने पेशे पर और दूसरी नजर सत्ता पर रखो। चो साहब ने किसान कमेरे वर्ग के लोगों को आगाह किया कि जहाँ नीतियां और कानून बनते हैं वहां यदि तुम्हारे नुमाईंदे नही बैठे तो फैसले तुम्हारे मुखालिफ होंगे।अभिभावक की तरह समझाते हुए चो साहब कहते थे कि अपने पेशे को व्यवसायिक होने पर नजर रखो, नही तो सरमाए दार तुम्हारा पेशा छीन कर पूंजीपति बन जायेगा और तुम्हारा पेशा तुमसे छिन जायेगा। जिसका उन्हे भय था उनके जाने के बाद वही हुआ,सत्ता में आज धन्नासेठ बैठ गये हैं,राजनीती मे जिस कर्मठ कार्यकर्ता को चो साहब तरजीह देते थे उसकी जगह आज चापलूस और पैसे वालों ने ले ली है। जो आज हम लोग खेत में,गाव में, शहरो में,रेल की पटरियों, रेलवे स्टेशन और सडक पर देख रहे हैं। किसान कमेरो के पेशे को पूंजी पतियों ने कब्जा कर उसे व्यवसायिक रुप देकर हमसे छीन लिया है और हम अपने ही पेशे की बेगार कर रहे हैं। इसलिये आज जरुरत है कि चो साहब के वे विचार और सोच लौट आए ताकि बर्बाद होते इन वर्गो और भारत को बचाया जा सके। श्रधान्जली आधी अधुरी रह जायेगी यदि इसी दिन महा परि निर्वाण को प्राप्त हुए एक और किसान मसीहा विजय सिंह पथिक का स्मरण कर उनके जीवन दर्शन को हम आत्म सात ना करेँ – यश वैभव सुख की चाह नही,परवाह नही जीवन न रहे,यदि इच्छा है तो यह है जग में स्वेछाचार दमन न रहे। भारत के इन महान सपूतों को शत शत क्रतज्ञ नमन !!
सत्यपाल चौधरी।