भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार बदहाल होती जा रही है। यह हर दिन नए-नए चुनौतियों का सामना कर रही है मगर सरकार इस चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कोई भी ठोस प्रयास करते हुए नहीं दिख रही है जिस कारण से केंद्र की मोदी सरकार लगातार अर्थशास्त्रियों की आलोचना की शिकार हो रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी फिर एक बार मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि में कमजोरी की एक वजह यह है कि मौजूदा सरकार अभी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने के बजाए अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने पर ज्यादा जोर दे रही है।
बता दें कि शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी रही है।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि मौजूदा सरकार अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की बजाए अपने राजनीतिक और सामाजिक एजेंडे को पूरा करने पर अधिक जोर दे रही है।
उन्होंने कहा कि भारत प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देकर सुस्त पड़ती जीडीपी ग्रोथ को पटरी पर ला सकता है। यह पूछे जाने पर कि भारत की जीडीपी ग्रोथ को कौन सी चीज रोक रही है, रघुराम राजन ने कहा, यह दु:खद कहानी है। मुझे लगता है कि यह राजनीति है।
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राजन ने कहा कि दुर्भाग्य से मौजूदा सरकार ने पिछले साल आम चुनाव में भारी जीत के बाद आर्थिक वृद्धि पर ध्यान ही नहीं दिया है। उसकी इसी प्रवृत्ति की वजह से आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हुई है। इसका कारण सरकार द्वारा शुरू में उठाये गये कुछ कदम भी है, जिसमें नोटबंदी और खराब तरीके से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार शामिल हैं।
राजन ने कहा कि भारत ने वित्तीय क्षेत्र को दुरुस्त करने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है और दुखद है कि इसके चलते सुस्ती बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘इन बातों पर अगर पर्याप्त ध्यान दिया जाए तो और उचित कदम उठाए जाएं तो हालात बदले जा सकते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही है।