जब हर तरफ राहुल गाँधी के कैलाश मानसरोवर यात्रा का जिक्र है तो मुझे भी आनंद तो हो ही रही है , विपक्षी खेमे में हलचल और बौखलाहट देखकर भी जो आनंद हो रहा है उसे शब्दो मे बयान नही कर पा रही हूं। राहुल को मुस्लिम मौलाना साबित करने में इन्होने बीस साल लगा दिए और खुद को फिट एवं स्वस्थ घोषित करने में करोड़ों अरबों फूंक दिए और दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला पर भगवान् शिव के दरबार में जाने का सौभाग्य आखिर शिवभक्त राहुल को ही प्राप्त हुआ, दिल्ली वासी गुजराती उत्तराखंड के आगे जा ही नहीं पाए। वो भी भारत सरकार के पुष्पक विमान की मदद से।
जिन्होंने उनके कर्नाटक चुनाव के बाद घोषणा करके कैलाश पर ना जा सकने पर आलोचना की थी, वो आज उनकी इस यात्रा की आलोचना में व्यस्त हैं। मतलब कुल मिलाकर उन लोगो को आलोचना करने के अलावा कोई काम नही है इसलिये एक वर्ग उन्हें गुलाम और चाटुकार भी कहते हैं। जिनको आलोचना करनी है वो तो करेंगे पर अंदर ही अंदर उनको संघी हिंदुत्ववादी भ्रामक किले के दरकने के संकेत भी मिलने लगे हैं।
मैं खुद को हमेशा शिव के करीब पाती हूँ चुकी मैं हिन्दू धर्म में पैदा ली और धर्म से कुछ जुड़ाव भी है तो। शिव हमेशा मुझे पसन्द आते हैं। दुर्गम स्थलों पर उनका निवास करना, ऊँचे पर्वत शिखर, दुर्गम रस्ते और उसपर हर हर महादेव का उद्घोष, राहुल बहुत भाग्यशाली हैं। जिन्होंने इस पवन यात्रा के लिए समय निकाला। हम भी शायद किसी दिन प्रकृति के इस चमत्कार को साक्षात् देख सकेंगे लेकिन अभी तो राहुल इसका आनंद ले रहे हैं और साथ ही इस यात्रा से अपने विपक्षी को बौखला भी दिए हैं। खैर राजनीति अपने जगह है मगर इस कठिन यात्रा के लिये राहुल जी को मेरी शुभकामनाएं।