
मोदी सरकार के फैसले पर उठाए जा रहे सवालों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रेस कॉन्फेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी की कंपनी में दसॉल्ट एविएशन ने 284 करोड़ रुपये राफेल में हुए भ्रष्टाचार की पहली किस्त के रूप में अनिल अंबानी को भुगतान कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उसी पैसे से अनिल अंबानी ने जमीन खरीदी है। दसॉल्ट के सीईओ साफ झूठ बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एयरपोर्ट के सामने अनिल अंबानी ने जो जमीन खरीदी है उसकी रकम राफेल घोटाले से आई है।
राहुल गांधी ने कहा कि घाटे में चल रही रिलायंस कंपनी में राफेल पार्टनर डसॉल्ट ने क्यों 284 करोड़ निवेश किए ? बात को स्पष्ट करते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि यह राफेल घोटाले की रकम है जिसकी पहली किस्त से अनिल अंबानी ने जमीन खरीदी और उसके बदले में डसॉल्ट के द्वारा उन्हें 284 करोड़ का निवेश मिला।
दरअसल 1 दिन पहले इस बात का खुलासा हुआ कि राफेल डील करने के बाद रिलायंस की घाटी की कंपनी को अचानक 284 करोड़ का निवेश मिल गया और वह भी राफेल पार्टनर डसॉल्ट कंपनी द्वारा इसके बाद राहुल गांधी ने मोदी सरकार और अनिल अंबानी पर हमला बोलते हुए तमाम आरोप लगाए।
राहुल गांधी ने कहा कि अब दसॉल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का भी झूठ पकड़ा गया है। उसने कहा था कि अनिल अंबानी की कंपनी के पास जमीन थी इसलिए एचएएल से ठेका छीनकर उसे राफेल का काम दिया गया। अब खुलासा हो रहा है कि दसॉल्ट से मिले पैसे के बाद अंबानी की कंपनी ने जमीन खरीदी है।
उन्होंने कहा कि यह साफ हो गया है कि अम्बानी की कंपनी ने राफेल सौदे में मिली दलाली के पैसे से फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन खरीदी थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को यह सब जानकारी है लेकिन वह चुप हैं। कुछ बोल नहीं रहे हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि अब वह बचने वाले नहीं है इसलिए चुप रहकर इस भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (31 अक्टूबर) को केंद्र सरकार से कहा कि वह फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत की जानकारी उसे 10 दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में सौंपे। साथ ही इसपर सहमति जताई कि ‘‘सामरिक और गोपनीय’’ सूचनाओं को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में सरकार को कुछ छूट भी दी।
सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि इन लड़ाकू विमानों कीमत से जुड़ी सूचनाएं इतनी संवेदनशील हैं कि उन्हें संसद के साथ भी साझा नहीं किया गया है। न्यायालय ने कहा कि केन्द्र सौदे के फैसले की प्रक्रिया को सार्वजनिक करे, सिर्फ गोपनीय और सामरिक महत्व की सूचनाएं साझा नहीं करे। पीठ ने कहा कि सरकार 10 दिन के भीतर ये सूचनाएं याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करे। याचिकाकर्ता इस पर सात दिन के भीतर जवाब दे सकते हैं। न्यायालय ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 नवंबर तय की है।