
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसॉल्ट एविएशन को मजबूर किया। जिससे अनिल अंबानी की कंपनी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
राहुल ने मंगलवार (13 नवंबर) को ट्वीट कर दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गलती मान ली है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए मोदी सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की कीमत का ब्योरा सोमवार (12 नवंबर) को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया।
राफेल की कीमतों का खुलासा करने से इनकार करने के बाद केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट समेत सभी याचिकाकर्ताओं को यह भी बताया कि यह पूरा सौदा कैसे हुआ। इस पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट में मोदी जी ने मानी अपनी चोरी। हलफनामें में माना कि उन्होंने बिना वासुसेना से पूछे कॉन्ट्रैक्ट बदला और 30,000 करोड़ रुपये अंबानी की जेब में डाले। पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…।’
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा राफेल सौदे की प्रक्रिया और कीमतों के बारे में सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसा है। राहुल ने मंगलवार (13 नवंबर) को ट्वीट कर दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गलती मान ली है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए मोदी सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की कीमत का ब्योरा सोमवार (12 नवंबर) को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सौंप दस्तावेज में सरकार द्वारा विस्तार से राफेल विमान की कीमत के साथ-साथ यह भी बताया गया है कि सौदे में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) पीछे क्यों रह गई और अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ हुआ। सरकार ने बताया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का पूरी तरह पालन किया गया और ‘बेहतर शर्तों’ पर बातचीत की गई थी।
इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की थी। इस हलफनामे का शीर्षक ‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण’ है। सरकार ने 14 पन्नों के हलफनामे में कहा है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया। इस हलफनामे का शीर्षक ‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण’ है।