लोकसभा चुनाव में हार के बाद बुलाए गए CWC की बैठक में अपने पद से इस्तीफा की पेशकश और फिर पार्टी नेताओ द्वारा बार-बार मनाने के बाबजूद भी 3 जुलाई को अपना इस्तीफा सार्वजनिक करने वाले राहुल गांधी ने इस्तीफा क्यों दिया इस पर काफी चर्चा हुआ पर उनके नजदीकी लोगो का माने तो कई कारण हो सकता है पर 3 जो बड़ा कारण है वो ये है।
पार्टी के प्रादेशिक नेताओं द्वारा गलत जानकारी
राहुल गांधी इस बात से काफी खफा हैं कि जब प्रदेश में पार्टी की स्थिति इतना कमजोर थी कि कांग्रेस पार्टी कई राज्यों में खाता नही खोल पाई तो कई राज्य में 1 या 2 सीट से संतोष करना पड़ा। राहुल जब भी इन नेताओं से बात करते थे तो ये लोग जो आंकड़ा दे रहे थे उसके अनुसार पार्टी बेहतर स्थिति में थी इसी कारण राहुल आत्मविश्वास से लबरेज होकर लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो रहे थे पर चुनावी नतीजों ने जहां राहुल के सपने और आत्मविश्वास को तोड़ा वहीं प्रादेशिक नेताओ के झूठे दावों के भी पोल खुल गए।
पार्टी नेताओं की गुटबाजी
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के पीछे सबसे बड़ा वजह पार्टी के अंदर गुटबाजी माना जा रहा है , राहुल गांधी ने जो अपना रिपोर्ट हर राज्य से हार के कारणों को लेकर मंगवाया है उसके पीछे पार्टी की गुटबाजी सबसे बड़ा वजह बताया गया है। राहुल गांधी जब किसी प्रदेश के दौरे पर रहते हैं तो सारे नेता एक मंच पर आकर काम करते हैं पर जैसे ही राहुल का दौरा खत्म होता है वो सब गुटों में बंट जाते हैं इसलिए राहुल का नाराजगी वजह यह है कि वो एक ही राज्य में नही रह सकते हैं ऐसे में पार्टी नेताओं को पार्टी के जीत पर ध्यान लगाना चाहिए ना कि खुद के गुट को बढ़ाने में यही कारण है कि कई राज्यो में पार्टी के कई दिग्गज नेताओ के रहने के बाद भी पार्टी को एक भी सीट नही मिल सकी। पार्टी की गुटबाजी की बात पत्रकार , कार्यकर्ता के साथ साथ पार्टी के वोटर भी करते हैं।
पार्टी नेताओं का पद लोभ
राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे में भी इस बात का जिक्र किया है कि पार्टी के कई नेता पद पर बने रहना चाहते हैं और साथ ही कहा कि लोग एक बार पद पा लेने के बाद छोड़ना नही चाहते हैं इसलिए वो जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ रहे हैं ताकि ऐसा अन्य नेता भी करें मगर राहुल का इसारा जिन नेताओ के लिए था उन्होंने इस्तीफे की पेशकश नही की। दरसल राहुल को लगता है पार्टी का जमीनी पकड़ कमजोर होने के पीछे वो नेता बड़ी वजह हैं जो लंबे समय से पार्टी में पद पर बने हुए हैं इसलिए वो चाहते है नए नेताओ को जिम्मेदारी देकर लोगो से जमीनी स्तर पर जुड़ने का टास्क दिया जाए पर राहुल के बार बार कोशिश करने के बाबजूद ये नही हो सका इसलिए भी वो नाराज बताए जा रहे थे।
इसके अलावा भी कई कारण था जैसे जमीन पर काम करने के बजाय टिकट के लिए खेमेबाजी करके पार्टी कार्यालय का चक्कर काटते रहना , पार्टी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को जनता तक ना पहुंचना। अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर जनांदोलन नही करना इत्यादि।
लगभग दो महीने बीतने को हैं पर राहुल गांधी का विकल्प पार्टी को नही मिला है नेतृत्व संकट के कारण पार्टी में कई जगहों पर संकट की स्थिति उतपन्न हो रही है।