कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील पर नए खुलासे के बाद फिर से मोदी सरकार पर हमला किया और अंग्रेजी अखबार का हवाला देते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे का विरोध किया था. राहुल ने कहा कि पीएम ने सीधे तौर पर डील में हस्तक्षेप किया था. मोदी ने भारतीय वायुसेना के 30 हजार करोड़ का नुकसान कराया. पीएम ने चोरी कर पैसे अनिल अंबानी को दिए. उन्होंने एचएएल की जगह अनिल अंबानी की कंपनी को डील दिलवाई.
उन्होंने आगे कहा कि ये साबित हो गया कि चौकीदार चोर है. डील पर प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने झूठ बोला था. राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने झूठ बोला. ये रक्षा मंत्रालय और कॉरपोरेट के बीच की लड़ाई है.पिछले दिनों पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात के दौरान राफेल डील पर बातचीत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह उनसे मिले थे, लेकिन राफेल पर उनसे कोई बातचीत नहीं हुई थी.
प्रियंका गांधी के पति रावर्ट वाड्रा पर पिछले 2 दिन से मनी लॉन्ड्रिंग पर प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों की पूछताछ और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के सवाल पर राहुल ने कहा कि जितनी मर्जी हो उतनी जांच कराइए, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री को राफेल मामले पर कुछ बोलना चाहिए.
दरअसल शुक्रवार को अंग्रेजी अखबार द हिंदू में एक रिपोर्ट छपी है जिसमें रक्षा मंत्रालय के एक नोट के हवाले से दावा किया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने राफेल सौदे के संदर्भ में रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राफेल सौदे में समानांतर बातचीत से रक्षा मंत्रालय की नेगोशिएशन टीम की कोशिशों को धक्का लग सकता है। इस पत्र के जवाब में पर्रिकर ने अपने नोट में लिखा था कि रक्षा सचिव को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव से सलाह-मशविरा कर इस मुद्दे को हल करना चाहिए। इस नोट से साफ हो गया कि रक्षा मंत्रालय जब राफेल सौदे के लिए फ्रांस सरकार से बात कर रहा था, उसी समय प्रधानमंत्री कार्यालय भी फ्रांस के साथ समानांतर सौदेबाजी कर रहा था।
इस रिपोर्ट पर खुद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को संसद में सफाई देनी पड़ी। उन्होंने सफाई देते हुए अखबार की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि अखबार को पर्रिकर के नोट को भी छापना चाहिए। लेकिन ‘हिंदू ग्रुप’ के चेयरमैन एन राम ने सीतारमण की सफाई को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि अखबार अपनी रिपोर्ट के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट अपने आप में पूरी है, क्योंकि हमने इसमें मनोहर पर्रिकर की भूमिका की बात नहीं की है और इसके लिए जांच की जरूरत है।”