कश्मीरी नेताओं को हिरासत में रखे जाने पर राहुल गांधी ने कहा , सरकार अब्दुल्ला जैसे नेताओं को हटाकर आतंकियों के लिए जगह बना रही है

कश्मीर में जिस तरह से वहां के जनप्रतिनिधियों के आवाज को दबाकर उन्हें हिरासत में रखा जा रहा है इससे कही ना कही कश्मीर की हालात और खराब हो रही है। जिस कारण सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है मगर सरकार जनता को अलग -अलग मुद्दों में भटकाए हुए है।

ऐसे में कश्मीर की वर्तमान स्थिति और लगातार वहां के मुख्यधारा के जनप्रतिनिधियों को हिरासत में रखे जाने पर राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने नेताओं की रिहाई की भी मांग की है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद गांधी ने कहा है कि जिस तरह से राष्ट्रवादी नेताओं को वहां राजनीति से दूर किया जा रहा है, ये आतंकियों के लिए जगह तैयार करेगा। ऐसे में सरकार इससे बाज आए।

राहुल ने इसको लेकर दो ट्वीट किए

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, सरकार फारूक अब्दुल्ला जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को किनारे कर रही है। ये एक राजनीतिक शून्य पैदा करेगा। राजनीति में ऐसे नेताओं के हटने से जो जगह खाली होगी, उसको आतंकी भरेंगे।इसके बाद कश्मीर का इस्तेमाल बाकी देश में ध्रुवीकरण के लिए का जरिया बन जाएगा। सरकार को कश्मीर में आतंकियों के जगह तैयार करना बंद करना चाहिए और सभी मुख्यधारा के नेताओं को रिहा करना चाहिए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर सरकार ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगाया है। वो 5 अगस्त से नजरबंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने अदालत में बताया कि उनको पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा है। पीएसए एक ऐसा कानून है, जिसमें किसी को गिरफ्तार कर बिना सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। जिसके एक दिन बाद राहुल ने उनकी रिहाई की मांग की है। अब्दुल्ला एनडीए और यूपीए सरकारों में केंद्र में मंत्री भी रहे हैं।

जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने का बिल संसद में लाए जाने के बाद से ही सूबे के ज्यादातर नेता नजरबंद हैं या गिरफ्तार कर लिए गए हैं। 5 अगस्त को राज्य में संचार के साधनों को बंद करते हुए 144 लागू कर दी गई थी।

ऐसे में कश्मीर में क्या हो रहा हो भारत के शेष भागो को नही पता चल रहा है क्योंकि भारतीय मीडिया सरकार के ही इसारो पर चल रही है। ऐसे में वहां के जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ सरकार का ये व्यवहार निंदनीय है।

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