नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कर रहे प्रदर्शन में मारे गए मेरठ के युवक के परिवार से मिलने जा रहे है कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को यूपी पुलिस ने रूप दिया।
जिसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि बिना किसी लिखित आदेश के उन्हें मेरठ में परिजनों से मिलने जाने नहीं दिया गया जबकि वह सिर्फ तीन लोगों के साथ भी जाने को तैयार थे। यूपी पुलिस द्वारा इस प्रकार से राष्ट्रीय नेता को रोके जाने की हर तरफ आलोचना हो रही है।
ऐसे में कांग्रेस नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दोनों नेताओं को मेरठ न जाने देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने राहुल, प्रियंका को रोकने की उत्तर प्रदेश की कार्रवाई को विपक्ष व नागरिकों पर लगाई गई पाबंदियाें से जोड़ा और कहा कि कांग्रेस नेता मेरठ विरोध करने नहीं मारे गये प्रदर्शनकारियों के परिजनों से मिलने जा रहे थे और उन्होंने यहां तक कहा था कि कई लोग इकट्ठे न जाकर तीन-तीन के समूह में जाएंगे पर तब भी उन्हें रोका गया।
इससे पूर्व कैप्टन अमरिंदर ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश पुलिस के फैसले की आलोचना की।मुख्यमंत्री ने कहा कि विरोध हर नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है पर उत्तर प्रदेश सरकार प्रदर्शनकारी नागरिकों से ऐसे व्यवहार कर रही है मानो वह आतंकवादी या गिरोहबाज हों। मुख्यमंत्री ने पुलिस कार्रवाई में मारे गये, बुरी तरह घायल हुए लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार की इस तरह की अतिवादी प्रतिक्रिया एक समुदाय के प्रति उसकी दुर्भावना वाली राजनीति को दर्शाती है और यह संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद पर हमला है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार से सीएए-एनआरसी विरोध से उपजी परिस्थिति से संयम से निबटने की अपील करते हुए कहा कि चुनी हुई सरकारों के नेताओं के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि कानून एवं व्यवस्था बनाये रखी जाए लेकिन संविधान हमें इसकी इजाजत नहीं देता कि विरोध करने वालों के खिलाफ अत्यधिक हिंसा का इस्तेमाल किया जाए।
इसी के साथ उन्होंने लोगों से अपील की कि वह प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण रखें और राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं।
उत्तर प्रदेश के कई नेताओ के साथ-साथ देशभर में कई नेताओं ने इसको लेकर यूपी सरकार की आलोचना की और कहा कि विरोध प्रदर्शन में मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिजन से राष्ट्रीय नेताओं को मिलने से रोकना कहीं न कहीं सरकार के द्वारा की गई करवाई को छुपाने का एक षडयंत्र है।