राज्यसभा चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस के लिए एक राहत की खबर आई है। राजस्थान हाईकोर्ट ने बसपा विधायकों के दल बदल से जुड़े एक मामले में दायर प्रार्थना पत्र में दखल देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट की जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए गुरुवार को कहा कि राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, ऐसे में फिलहाल कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
मालूम हो कि हाल में बसपा की राजस्थान इकाई की तरफ से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को व्हिप जारी कर निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को समर्थन देने के आदेश दिए गए थे. बता दें कि बसपा के 6 विधायक 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे जिसके बाद से उनके खिलाफ दलबदल कानूम के तहत मामला कोर्ट में चल रहा है।
कोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ता हेमंत नाहटा के प्रार्थना पत्र पर आदेश देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में बसपा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर 6 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वहीं जीतने के बाद 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे और सरकार को समर्थन दिया था. बसपा विधायकों के पार्टी बदलने पर उनके खिलाफ बसपा ने दलबदल कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो मामला अभी तक चल रहा है।
वहीं दूसरी ओर राज्यसभा चुनावों से पहले 5 जून को बसपा की राज्य इकाई ने विधायकों के लिए एक व्हिप जारी कर कांग्रेस और बीजेपी को वोट नहीं देने के आदेश दिए थे. बसपा की ओर से विधायकों को कहा गया था कि वह बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के पक्ष में मतदान करें। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा था कि राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, लाखन मीना, दीपचंद खैरिया, संदीय यादव, जोगिंदर अवाना और वाजिब अली के लिए व्हिप जारी हुआ है जो बसपा के चुनाव चिन्ह पर जीतकर आए हैं।
बसपा ने कहा कि पार्टी व्हिप के अनुसार विधायकों को आदेश देने के लिए बाध्य है. गौरतलब है कि राजस्थान की 4 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है और कांग्रेस अपने विधायकों के अलावा बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 126 वोट का दावा कर कर रही है।