
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को चिटफंड घोटालों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार पर हमला बोला। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर इस मामले की जांच होगी तथा जनता का पैसा वापस किया जाएगा।
सुरजेवाला ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि “पिछले नौ वर्षों से छत्तीसगढ़ में 161 से अधिक चिटफंड कंपनियों ने लगभग एक करोड़ जनता (21 लाख परिवार) की खून पसीने की कमाई और जमापूंजी को लूट लिया। बीस लाख निवेशक परिवारों और एक लाख एजेंटों से पांच हजार करोड़ रूपए से अधिक की ठगी हो गई तथा 57 लोगों की जानें चली गईं। तीन सौ से अधिक एफआईआर दर्ज होने के बावजूद नौ साल में एक व्यक्ति को भी फूटी कौड़ी वापस नहीं मिली।
” सुरजेवाला ने कहा कि “इस मामले में मुख्यमंत्री रमन सिंह सरकार का संरक्षण रहा है। मुख्यमंत्री रमन सिंह उनके परिवार के सदस्य, मंत्री, कई नेता तथा आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बाकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। जिससे जनता को लगा कि भाजपा सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है, और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी।
” कांग्रेस नेता ने कहा कि “वर्ष 2010 से 2016 के मध्य चिटफंड कंपनियों द्वारा पैसे की इस खुली लूट की शिकायतें सरकार और अधिकारियों को मिलती रहीं। कुछ कंपनियों के कार्यालय सील भी हुए। लेकिन राजनैतिक संरक्षण के चलते इन सब कार्यालयों की सील दोबारा खोल उन्हें जनता से लूट की छूट दे दी गई। इससे साफ है कि ठगी के सबूतों के बावजूद, भाजपा सरकार कंपनियों की सील खोलकर इन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लूट का लाईसेंस दे रही थी।
” उन्होंने कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा वर्ष 2009 से 2014 के बीच और उसके बाद इन चिटफंड कंपनियों के धंधे पर पाबंदी लगाई गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ में सरकार के संरक्षण में बगैर रोकटोक के इन चिटफंड कंपनियों की जनता की कमाई की लूट जारी रही। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्य सरकार इसमें शामिल नेताओं, अधिकारियों और चिटफंड कंपनियों की सीमित समय में जांच कर इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश करेगी।
चिटफंड कंपनियों की संपत्ति की कुर्की की जाएगी और राज्य की एक करोड़ जनता (21 लाख परिवार) की गाढ़ी कमाई का एक-एक पैसा वापस लौटाया जाएगा। वहीं चिटफंड कंपनियों के एक लाख एजेंट, जो भी बेकसूर पाए जाएंगे, उन पर लगे आरोपों का भी पुर्नमूल्यांकन होगा, जिससे किसी निर्दोष को सजा न मिले। चिटफंड घोटाले के हर दोषी की जगह जेल की सलांखों के पीछे होगी।