अपने तल्ख तेवरों के कारण चर्चा में बने हुए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस के फायरब्रांड नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों अपने तल्ख तेवरों के कारण चर्चा में बने हुए हैं. भले ही वह लोकसभा चुनाव में हार गए हो लेकिन अपने बेबाक अंदाजों के कारण जनता के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं। सिंधिया अभी भी जहां जा रहे हैं जनता उनको सुनने के लिए आ रही है यही कारण है कि जब वह अपनी ही सरकार को किसी मुद्दे पर आईना दिखाते हैं तो सरकार के लिए परेशानी का कारण बन जाता है। सिंधिया का यह अंदाज कांग्रेस के उन नेताओं से मिलता है जो कांग्रेस के प्रचंड समय में अपने सरकार को हमेशा आइना दिखा कर समस्याओं का निराकरण करवाते थे।

सिंधिया जनता की समस्याओं पर बेबाक राय जाहिर करने में पीछे नहीं हैं, चाहे उससे कमलनाथ सरकार ही कटघरे में क्यों न खड़ी होती हो। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद सिंधिया के ‘बोल’ अब ‘जनता के बोल’ बनने लगे हैं।

राज्य में मिलावट खोरों के खिलाफ ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान चल रहा है। बड़ी तादाद में मिलावटी सामान बरामद हो रहे हैं, कार्रवाइयां हो रही हैं, मिलावटखोर जेल भेजे जा रहे हैं, रासुका की कार्रवाई हो रही है, मगर मिलावट पर रोक नहीं लग पा रही है। इससे जनता के मन में सवाल लगातार उठ रहा है। सिंधिया ने अपरोक्ष रूप से यही बात ग्वालियर में कही थी।

राज्य के खाद्यमंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट का नाता सिंधिया से है। सिंधिया ने खाद्यमंत्री तोमर से साफ तौर पर कहा, “मिलावट खोरों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, मगर मैं यह क्या सुन रहा हूं कि छापा पड़ने के बाद मिलावटखोरों को छोड़ा जा रहा है। मिलावट खोरों की जगह तो सिर्फ जेल है।”

सिंधिया यहीं नहीं रुके, उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री सिलावट से कहा, “आप आर्डर निकालो कि आपके निर्देश के बिना कोई मामला खत्म नहीं होगा, नारा होना चाहिए ‘प्रदेश में सिलावट, नहीं होगी मिलावट’। किसी को राहत मत देना, जहां मिलावट हो वहां कार्रवाई नहीं, दोषी को सीधे जेल भेजा जाए।”

राजनीतिक विश्लेषक अरविंद मिश्रा के अनुसार “सिंधिया राज्य की राजनीति में अपना स्थान बनाए रखने के लिए जनता की बात कह रहे हैं। यह माना जा सकता है कि इस तरह के बयान से भाजपा को लाभ हो सकता है, मगर अपनी सरकार को आइना दिखाना गलत नहीं है। सरकार पर दवाब बनाकर जनता की इच्छा के अनुरूप काम कराने से लाभ तो पार्टी को ही होगा, साथ ही वे राजनीति में अपनी प्रासंगिकता भी बनाए रखना चाहते हैं।”

सिंधिया लगाता अपने बयानों और पत्रों से जनता के मुद्दों को उठाने के साथ-साथ सरकार को आईना दिखाने का भी काम कर रहे हैं ताकि प्रदेश की जनता को किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना ना करना पड़े और कांग्रेस सरकार का वह हस्र ना हो जो शिवराज सरकार का मध्य प्रदेश में हुआ।

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