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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को परिवारवाद से ही दो-चार होना पड़ रहा है. परिवारवाद की राजनीति को लेकर राहुल गांधी को दो-दो मोर्चों पर एक साथ जूझना पड़ रहा है – चुनाव मैदान में राजनीतिक विरोधियों से और पार्टी के भीतर सीनियर नेताओं की जिद से।
बीजेपी नेतृत्व तो राहुल गांधी को परिवारवाद की राजनीति के नाम पर हर वक्त कठघरे में खड़ा किये ही रहता है, कांग्रेस के कई सीनियर नेता अपने बेटे-बेटियों को आगे बढ़ाने की सिफारिश में जुटे रहते हैं,जो कि बहुत हद तक गलत है।
नतीजा ये हो रहा है कि सीनियर नेताओं के अपने बेटो को लेकर पैदा हुआ मोह कांग्रेस पर भारी पड़ने लगा है – और ये बात खुद राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सबके सामने कही है. वो भी तब जब वो कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश किये थे, हालांकि, वो नामंजूर हो गया है।
राहुल गांधी ने इस कहानी के दो किरदारों के नाम भी भरी सभा में लिये – कमलनाथ और अशोक गहलोत और पी. चिदंबरम. आम चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ और चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम तो चुनाव जीत गये लेकिन अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत हार गये.
CWC की बैठक में इस्तीफे की पेशकश के बीच राहुल गांधी ने भरी सभा में कई चौंकाने वाली बातें रखीं. राहुल गांधी ने बताया कि किस तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सीनियर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम अपने बेटों को टिकट दिलवाने को लेकर जिद पर उतर आये थे.
कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से और पी. चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम शिवगंगा से चुनाव लड़े और जीत गये लेकिन राजस्थान से अशोक गहलोत के बेटे वैभव को हार का मुंह देखना पड़ा.