हरियाणा में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उठापटक तेज है। जहाँ राज्य की सत्ता में आसीन बीजेपी अपने प्रचार को मजबूती देने में जुट गई है तो वही कांग्रेस अभी तक नेतृत्व के बदलाव सम्बन्धी मुश्किलों को हल करने में लगी हुई है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने बेटे दीपेंद्र हुड्डा के साथ मिलकर विशाल रैली किया जिसके बाद से हरियाणा कांग्रेस में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है।
गुरूवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके 10 जनपथ स्थित आवास पर भेंट की। सूत्रों के अनुसार लगभग एक घंटा चली इस मुलाकात में हुड्डा ने सोनिया गांधी के सामने दो शर्तें रखी हैं। पहली शर्त में हुड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष को कहा कि पाटी उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करें। दूसरी शर्त में या तो उन्हें या फिर उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए।
उल्लेखनीय है कि हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक में एक बड़ी रैली करके हाईकमान पर दबाव बना दिया है कि हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व परिवर्तन करे।
हुड्डा ने रैली में खुद को किसी भी बंधन से मुक्त होने की बात भी कही थी। इस दौरान हुड्डा ने एक 38 सदस्यीय कमेटी भी बनाइ है, जो कि हुड्डा के अगले कदम का फैसला करेगी। हुड्डा के इन बगावती तेवरों को देखते हुए हाईकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाया था।
पार्टी महासचिव और हरियाणा मामलों के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने हुड्डा को यह कह कर मनाने की कोशिश की थी कि पार्टी ने उन्हें 10 सालों तक मुख्यमंत्री बनाया है इसलिए संयम से काम लेना चाहिए। मगर एक दर्जन विधायकों ने हुड्डा पर दबाव बना रखा है कि वह अशोक तंवर को अध्यक्ष पद से हटाने के लिये हाईकमान को मनाए।
इसी कड़ी में हाईकमान ने कुमारी शैलजा, दीपेंद्र हुड्डा और कप्तान अजय सिंह यादव को दिल्ली बुलाया था। प्रदेश के राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि शैलजा को अध्यक्ष बनाकर और कप्तान अजय यादव और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर कांग्रेस विधानसभा चुनावों में उतर सकती है।
सोनिया गांधी ने सामने रखे कई विकल्प
हुड्डा गुट के एक विधायक से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया गांधी व गुलाम नबी आजाद ने हुड्डा के सामने कई विकल्प रखे हैं। जिसके चलते हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव कमेटी का चेयरमैन बनाने, चुनाव संबंधी बनने वाली सभी कमेटियों का संयोजक बनाने, तंवर के रहते हुड्डा की पसंद के तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने, कुमारी सैलजा को पार्टी की कमान सौंपकर हुड्डा विधायक दल का नेता बनाने तथा अन्य नेताओं को चुनाव संबंधी कमेटियों का चेयरमैन नियुक्त करने के विकल्प रखे हैं।
हालांकि हुड्डा ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से किसी तरह की बात नहीं की है लेकिन अपने गुट के बेहद करीबी नेताओं से इन विकल्पों के बारे में मंत्रणा जरूर की है। आज की बैठक में सोनिया गांधी ने हुड्डा के समक्ष उक्त विकल्प रखते हुए साफ कर दिया है कि बिना किसी देरी के गुटबाजी खत्म होनी चाहिए और सभी नेताओं का एक मंच पर आना जरूरी है।
आज की बैठक में हुड्डा किसी भी विकल्प पर सहमत होने की बजाए यह कहते हुए बाहर आए हैं कि वह अपने साथियों से विचार-विमर्श करेंगे। बताया जाता है कि हुड्डा से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने शुक्रवार को हरियाणा कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद को फिर से बुलाया है। अब गुलाम नबी आजाद से बैठक के बाद ही हरियाणा के संबंध में कोई फैसला होगा।
विधानसभा चुनाव में बेहद कम समय बचा है ऐसे में कांग्रेस को अब जल्द से जल्द किसी फैसले पर पहुंचना होगा नही तो पहले ही प्रचार के मामले में कांग्रेस से आगे निकल चुकी बीजेपी कांग्रेस को पटखनी दे देगी। लोकसभा चुनाव में भी इसी असमंजस की स्थिति के कारण हरियाणा में कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ और पार्टी सभी सीट हार गई इसलिए कांग्रेस पुरानी गलतियों को फिर नही दोहराएगी।