सूचना का अधिकार ( RTI ) कानून में संसोधन को लेकर लगातार आलोचना झेल रही मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हमला बोला है। सोनिया गांधी ने अपने एक बयान में कहा कि सरकार इस कानून को प्रभावहीन बनाने के लिए संसोधन कर रही है।
सोनिया गांधी ने जारी एक बयान में कहा, “भाजपा सरकार ने अब आरटीआई को बर्बाद करने के लिए अपना अंतिम हमला शुरू किया है। इसकी प्रभावशीलता को और खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने संशोधन पारित किए हैं, यह सूचना आयुक्त कार्यालय को इस तरीके से शक्तिहीन करेगा कि वह बहुत हद तक सरकार की दया पर निर्भर रहेगा।”
उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पहले भी सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में बधाएं पैदा की थीं।
बयान में कहा गया, “यह कोई रहस्य नहीं है कि मोदी सरकार ने इस असाधारण संस्थान को लोगों के प्रति जिम्मेदार हुए बिना अपने प्रमुख एजेंडे को लागू करने के लिए एक बाधा के रूप में देखती है।
उनके पहले कार्यकाल में सूचना आयुक्त के कई कार्यालय खाली रहे, जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त कार्यालय (दस महीनों के लिए) भी शामिल था।”
कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उपलब्धियों में से एक सूचना का अधिकार 2005 का पारित हुआ था। इस ऐतिहासिक कानून ने ऐसे संस्थान को जन्म दिया जो बीते 13 सालों में आम आदमी के लिए लोकतंत्र, पारदर्शिता व जवाबदेही का प्रहरी बन गया है।
उन्होंने कहा, “सूचना आयुक्तों का कार्यकाल अब केंद्र सरकार के विवेक पर है।”
आरटीआई एक्ट 2005 में अवधि को पांच साल के लिए तय किया गया था, जिसे अब घटाकर 3 साल कर दिया गया है।
नए संशोधनों के अनुसार, वेतन, भत्ते और शर्तो के नियम, जो चुनाव आयुक्तों के बराबर थे, अब केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे। आरटीआई अधिनियम संशोधन संसद में पारित किए गए, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया।
सोनिया गांधी के पहले राहुल गांधी ने भी इस कानून में संशोधन का विरोध किया था और मोदी सरकार पर निशाना साधा था। प्रियंका सहित अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी इसको लेकर सरकार को अपने निशाने पर लिया था। जब से सरकार ने इसमे संसोधन की चर्चा की है तब से लगातार कांग्रेस नेता इसका विरोध कर रहे हैं।