प्रधानमंत्री महोदय ! आप हर बार जो नई घोषणाओं की झड़ी सी लगा देते हैं, पिछली घोषणाओं/योजनाओं से क्या लाभ हुआ क्या कभी इसका हिसाब भी दिया है? आपने कल कहा कि चार करोड़ बैरोज़गार नौजवानों ने अपना कारोबार चलाने के लिए कर्ज लिया है तो लगे हाथ यह भी बता देते कितनों ने वह कारोबार चलाया भी है ! यह भी बता देते कि देश का खून चूसते कार्पोरेटस का 48 खरब रुपए का कर्जा माफ करके आपने बैंकिंग व्यवस्था को कैसे खोखला कर दिया है ! आप तो उनके लिए पलक- पांवड़े बिछाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते ! उलटे जनता को ही दो बात सुना जाते हैं जैसे आपने लखनऊ में यह कह कर किया, ‘देश को बनाने में उद्योगपतियों की अहम भूमिका है। क्या हम उन्हें अपमानित करेंगे, चोर- उचक्के कहेंगे?’ तो कोई अहसान किया है क्या उन्होंने? यही काम है उनका ! मोटा मुनाफा कमाया है उन्होंने यह भूमिका निभा कर !!
खैर कुछ सवाल तो बनते ही है आपके इस रवैये को देख कर ! बता दें कि व्यक्तिगत आलोचना में मेरा कभी विश्वास नहीं रहा, लेकिन लोकशाही में अपने प्रधानमंत्री से सवाल करने अधिकार तो मुझे है ही ;
- अच्छे दिन : पांच साल बीतने को हैं अब तो अच्छे दिनों की अपनी परिभाषा बता दो भाई ! वो आ गए हैं या आने वाले हैं? वैसे दिखने में कैसे लगते हैं वे?
हिसाब कहां है मेक इन इंडिया में कितनी विदेशी पूंजी भारत आई, स्किल इंडिया से कितने नौजवानों को लाभ हुआ उनमें से कितने काम धंधो में लगे, नमामि गंगे पर लगे बीस हजार करोड़ रुपए का हिसाब तो दो ! गंगा साफ हुई या नहीं ? या सिर्फ लोगों की जेब ही साफ हुई है ! इतना समय पहले तीन गुणा कीमत में हुए रॉफेल सौदे के बावजूद आज तक एक भी विमान अभी तक क्यों नहीं आया? का वर्षा जब कृषि सुखाने !
काला धन इसका रंग बदला या नहीं…
विकीलीक्स और पैराडाइज़ पेपरस पर आपकी चुप्पी का क्या अर्थ लिया जाए जबकि इन्हीं के चलते आपके परम मित्र नवाब शरीफ की शराफत सरेआम नीलाम कर दी गई गद्दी से सीधा जेल भेज कर !
FCRA के राज के बारे में भी तो कभी देश को बताओ कैसे आपने अपनी और दूसरी पार्टियों के पाप को छिपाने के लिए चालाकी से कानून ही बदल दिया था। थोड़ी चूक तो फिर भी हो ही गई तारीख़ बदलने को लेकर! तो फिर महाशय यह भी बताइए न देश को कि आज भी कांग्रेस के साथ आपकी पार्टी कानून की नज़र में मुजरिम है !
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बलात्कार के तेजी से बढ़ते हादसों, आपकी पार्टी के कई नेताओं का उसमें लिप्त होना, बलात्कारी बाबाओं को संरक्षण आदि की तो मैं बात ही नहीं कर रहा, बिहार, यूपी के और जो प्रकाश में नहीं आए उन सुधार गृहों में बालिकाओं से करवाई जा रही जबरन वेश्यावृत्ति और मानव अंगों की तस्करी पर आपकी चुप्पी का क्या अर्थ लगाया जाए। बताते चले कि ऐसे अपराध संगठित अपराधों की श्रेणी में आते हैं !
खैर, जाने दीजिए। आप तो सिर्फ़ सवाल करते हैं, जवाब तो आपने कभी दिया ही नहीं। तो इस बार जनता आपको सब जवाब एक साथ दे देगी। अब तो लगता है साहिब 15 अगस्त के दिन लाल किले से अपनी बात फेकने का दिन बन गया।तमाम चर्चाओं में आत्मग्लानि तनिक भी नहीं कि देश में बहन बेटियों के लिये कौन जिम्मेदार है,संविधान जलाने वाले गिरफ्तार क्यों नही हुए,जीडीपी निचले स्तर पर किसलिये आ गई,विश्व भ्रमण से देश को कितना आगे ले आये,डॉलर 70 के पार क्यों,कानून व्यवस्था ध्वस्त क्यों?
सिर्फ RULE OF LAW की बात ही करनी है या थोड़ा बहुत बचा भी है।वहां इकट्ठी भीड़ ताली बजाने का लड्डू खा लेना स्वतंत्रता मान बैठी देश की बड़ी आबादी के लिये स्वतंत्रता आज भी सपना है।