भारत रत्न जैसे पुरुस्कार से वोट की ओछी राजनीति और स्वार्थ

भारतरत्न सेवा या स्वार्थ
भारतरत्न पुरस्कारों के जरिए सरकार ने अपने लिए वोटबैंक साधने की कोशिश की है!
भारतरत्न पाए तीनों व्यक्तियों के राजनैतिक महत्व एवं सरकारी सोच पर एक नज़र….
1.) नाना देशमुख ( संघी )
कुख्यात संघी नानाजी देशमुख को भारतरत्न देने से सरकार की कई मंशा पूरी होती हैं!
1- मराठा वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाए रखना
2- लगातार सरकार पर हमलावर शिवसेना को शांत कराना
3- सरकार से नाराज RSS को मनाना
4- युवाओं के बीच संघ की छवि देशभक्त बनाना!

2.) प्रणव मुखर्जी ( पूर्व राष्ट्रपति )
बंगाल में भाजपा की दुर्गति रोकने एवं नाना देशमुख को दिए भारतरत्न का कांग्रेसी विरोध रोकने के लिए उन प्रणव दा को भारतरत्न दिया, जिन्हें दूसरा कार्यकाल देने की सोचा भी नहीं गया!
कांग्रेसियों को बुरा तो लगेगा, लेकिन सत्य यही है कि प्रणव मुखर्जी ने भी भारतरत्न पाने योग्य कोई महान काम नहीं किया!

3.) भूपेन हजारिका गायक
उत्तरपूर्व में जिस तेजी से भाजपा को जनाधर बना था, सहयोगी मिले थे, उससे भी तेज जनाधार गिरा और अब सहयोगी भी हाथ छुड़ा रहे!
इस स्थिति में उत्तरपूर्व के प्रख्यात एवं लोकप्रिय गायक भूपेन हजारिका को भारतरत्न देकर सरकार वहां अपने खिसकते जनाधार, सिकुड़ते वोटबैंक को बचाने की कवायद कर रही है!

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