आज कारगिल युद्ध मे विजय के 20 साल हो गए। कारगिल युद्ध में विजय के साथ ही भारत ने पाकिस्तान को फिर एक बार सबक सिखाया था।
इस युद्ध मे एक समय भारत परेशानी में दिखने लगा था पर बोफोर्स के कारण भारत ने आसानी से जीत दर्ज कर ली थी। जिस कारण से कहा जाता है कि कारगिल विजय के बाद वहां मौजूद सैनिकों ने बोफोर्स को चूमकर राजीव गांधी अमर रहे , राजीव गांधी जिन्दाबाद का नारा लगाया था।
1999 में करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था, जिसके बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया. ऑपरेशन विजय 8 मई से शुरू होकर 26 जुलाई तक चला था। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत को विजय मिली थी, इस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
इस कार्रवाई में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे. इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार जवान मारे गए थे।
इस युद्ध के जीत मे 8 साल पहले शहीद हो चुके PM राजीव गांधी का भी रहा था योगदान।
दरसल कहा जाता है कि भारत ने इस युद्ध मे बोफोर्स के वजह से जीत दर्ज की थी। ये वही बोफोर्स था जिसमे दलाली के आरोप के कारण करीब डेढ़ दशक तक भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया था पर कारगिल युद्ध मे बोफोर्स ने सारे आलोचकों का मुंह बंद कर दिया था और युद्ध से 8 साल पहले ही एक हमले में मर चुके राजीव गांधी के इस डील को सही ठहराया था।
कारगिल की जंग को बोफोर्स तोप के लिए भी जाना जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधीके कार्यकाल में खरीदी गई इस तोप की खरीदी में दलाली की बात सामने आई थी। इसके बाद भारत में करीब डेढ़ दशक तक इस घोटाले की गूंज रही।
कारगिल युद्ध के दौरान पहली बार युद्ध में उपयोग में लाई गई बोफोर्स तोप सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई थी।
दरसल पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर रखा था। वे पहाड़ की चोटियों पर बने बंकरों में छिपे थे और भारतीय सैनिकों पर भारी पर रहे थे। भारतीय जवान चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़ाई करते तो ऊपर बैठे दुश्मन उन्हें आसानी से निशाना बना लेते थे। ऐसी स्थिति में बोफोर्स तोप सेना के बड़े काम आई थी। बोफोर्स ने पहाड़ की चोटियों पर बने बंकरों को उड़ा दिया था। तोप की बमबारी की ओट में भारतीय सैनिक दुश्मन की चौकियों के करीब जा पाए थे।
इस युद्ध मे जीत के साथ ही भारत ने एक और इतिहास दर्ज कर लिया था।