मोदी को पत्र लिखने वालों पर दर्ज हुआ मुकदमा तो राहुल ने कहा देश तानाशाही के तरफ बढ़ रहा

अपने प्रधानमंत्री को देश की समस्या के लिए पत्र लिखना राजद्रोह कैसे हो सकता है और किसी पर सिर्फ इसलिए FIR कैसे दर्ज हो सकती है कि उसने प्रधानमंत्री को देश की समस्या के लिए पत्र लिखा हो लेकिन भारत में लोकतांत्रिक अधिकारों की जिस प्रकार से क्षति हो रही है उसका एक और उदाहरण सामने आया है दरअसल जिन 50 लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश में बढ़ते मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाने की बात कही थी उन सभी 50 लोगों पर केस दर्ज कर दिया गया है। इसको लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधीने सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि देश में जो कोई भी प्रधानमंत्री खिलाफ बोलता है उस पर केस दर्ज कर दिया जाता है जो तानाशाही है।

भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाले जाने की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाली करीब 50 हस्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के एक दिन बाद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार के खिलाफ कुछ भी कहने वालों को सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है। गांधी ने कहा कि देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है और यह बात अब किसी से छिपी नहीं है

राहुल ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि देश में क्या हो रहा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है, बल्कि पूरा देश यह जानता है। हम तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं। यह बात काफी हद तक स्पष्ट है।’

उन्होंने कहा, ‘जो प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ कहता है, जो सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे जेल भेज दिया जाता है और उस पर हमला किया जाता है। मीडिया को दबा दिया गया है। हर कोई जानता है कि क्या चल रहा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है।’

भीड़ द्वारा पीट-पीटकर जान लेने के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 50 लोगों के खिलाफ यहां गुरूवार को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई है।

ओझा का आरोप है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया। गांधी ने कहा कि देश में दो विचारधाराएं हैं। इनमें से एक विचारधारा इस बात का समर्थन करती है कि ‘एक व्यक्ति, एक विचारधारा’ से देश का शासन चले।

उन्होंने कहा, ‘एक तरफ यह विचार है कि एक व्यक्ति, एक विचारधारा से देश का शासन चलना चाहिए और बाकी सभी को मुंह बंद रखना चाहिए। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी और विपक्ष है जो इसे मानने से इनकार कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि इस देश में विभिन्न विचार, विभिन्न भाषाएं, संस्कृतियां एवं कई प्रकार के विचार हैं और उनकी आवाज को दबाया नहीं जाना चाहिए। देश में यह मुख्य संघर्ष चल रहा है।’

पिछले कुछ समय से देश में कई जगह पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आई। देश के कई स्थानों पर निर्दोषों को भीड़ के द्वारा पीट-पीटकर मार डाला गया ब जिसके बाद देशभर में इसको लेकर आवाज उठाई गई और कई तरह के विरोध प्रदर्शन भी किए गए लेकिन एक दो राज्य को छोड़कर किसी ने भी इसके खिलाफ कोई उचित कानून नहीं बनाया जिसके बाद देश के कई नामचीन हस्तियों ने प्रधानमंत्री मोदी से मांग की थी कि इसके खिलाफ उचित कदम उठाएं लेकिन सरकार ने ऐसा कोई कदम नही उठाया उल्टे ही पत्र लिखने वालों के ऊपर केस दर्ज कर दिया गया।

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