देश भर में चल रहे किसान आंदोलन का बड़ा असर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है और लग रहा है कि इसका असर हरियाणा के भाजपा सरकार पर भी पड़ने जा रहा है इसी कारण से हरियाणा में भाजपा की सरकार खतरे में दिख रही है।
दरसल कांग्रेस हरियाणा में भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने बजट सत्र शुरू होने के बाद की तारीख सोची है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि, कांग्रेस 8 मार्च को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगी। उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में यह प्रस्ताव लाया जाएगा। किसानों के हित में हम इन कानूनों का विरोध करते आ रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, जिससे मालूम हो जाएगा कितने विधायक किसानों के साथ हैं और कितने खिलाफ।
कांग्रेस पार्टी 8 मार्च को ही अविश्वास प्रस्ताव किस वजह से ला रही है, इसे लेकर लोगों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी हैं।
पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ऐसा इसलिए होगा क्योंकि, हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार 5 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू करने जा रही है। उस पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस इसलिए नहीं लाएगी, क्योंकि बजट की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगी। राज्यपाल अभिभाषण में खलल डालने का कांग्रेस का इरादा नहीं है। हालांकि, कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का कितने विधायक साथ देंगे, यह स्पष्ठ नहीं है।
भाजपा-जजपा के बड़े नेताओं का कहना है कि, उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। बता दिया जाए कि, 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में वर्तमान में 88 विधायक हैं। जिसमें कालका के अलावा ऐलनाबाद सीट खाली है। दरअसल, यहां से विधायक रहे इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने इस्तीफा दे दिया था। ऐसा उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में किया।
विधानसभा में ही भाजपा विधायकों की संख्या बहरहाल 40 है। उसके साथ जजपा के 10 विधायकों का भी समर्थन है। इसके अलावा 7 निर्दलीय विधायकों में से पांच विधायकों का समर्थन भी इस सरकार के साथ है। हालांकि, किसान आंदोलन के दरम्यान ही महम से विधायक बलराज कुंडू और दादरी से विधायक सोमबीर सिंह सांगवान सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं।