छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे ने स्पष्ट कर दिया था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस एक बड़ी ताकत बनकर उभर चुकी है लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वापसी करते हुए कांग्रेस को परास्त किया उसके बाद लोग इसे बराबरी का टक्कर मान रहे थे मगर उसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के सारे सपनों को तोड़ दिया और बीजेपी छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बस्तर से पूरी तरह से समाप्त हो गई।
भाजपा के गठन और छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब नक्सल प्रभावित बस्तर पूरी तरह कांग्रेसमय हो गया है और भाजपा का यहां पूरी तरह सफाया हो गया है। यहां की सभी 12 विधानसभा सीटें कांग्रेस के कब्जे में आ गई है। राज्य में कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता मिली है, यहां विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलना पड़ी थी, मगर विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की है। दंतेवाड़ा और उसके बाद चित्रकूट में जीत दर्ज कर कांग्रेस ने अपनी विधायक संख्या तो बढ़ाई ही है, साथ ही बस्तर की सभी 12 सीटों पर कब्जा जमा लिया है।
विधानसभा चुनाव में बस्तर की 12 सीटों में से 10 पर कांग्रेस जीती थी और भाजपा के खाते में दो आई थी, उसके बाद दंतेवाड़ा और चित्रकूट में हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर जहां बस्तर को भाजपा मुक्त कर दिया तो दूसरी ओर 90 विधायकों की विधानसभा में विधायकों की संख्या बढ़कर 69 हो गई है।
भाजपा के गठन वर्ष 1980 के बाद हुए विधानसभा चुनावों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि इस क्षेत्र की 12 सीटों में से एक से लेकर 11 सीटें तक भाजपा के खाते में रही है, मगर चित्रकोट के उपचुनाव के नतीजों के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि यहां से भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया है।