
कांग्रेस में ढाई महीने से कोई पार्टी अध्यक्ष नही है जिस कारण से कई बार देखा जा रहा है कि नेतृत्व की संकट के कारण पार्टी में सभी नेता मुद्दों पर असमंजस की स्थिति में दिखते हैं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल ने इस्तीफा देते वक्त कहा था कि पार्टी जल्द नया अध्यक्ष चुने।
माना जा रहा है 15 अगस्त से पहले पार्टी का के अध्यक्ष का चयन हो जाएगा। जिसको लेकर कांग्रेस में खेमेबाजी भी तेज हो गयी है। इस तेजी का बड़ा कारण 10 अगस्त होने वाली कार्यसमिति की बैठक है जिसमें नये अध्यक्ष के चयन को लेकर विचार किया जाना है।
पार्टी अब पूरी तरह दो खेमों में बंटी नज़र आ रही है। एक खेमे में वह नेता शामिल हैं जो राहुल टीम के युवा टीम माने जाते रहे हैं ,इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया ,सचिन पॉयलट ,दीपेंद्र हुड्डा ,मिलिंद देवड़ा जैसे नाम शामिल हैं तथा इनकी कोशिश है कि राहुल के बाद पार्टी की कमान किसी युवा नेता को सौंपी जाये ,मिलिंद देवड़ा ने तो सचिन पॉयलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम भी अध्यक्ष पद के लिये सार्वजानिक कर मांग उठा दी है। तो दूसरे तरफ पार्टी के पुराने वरिष्ठ नेता हैं जो चाहते हैं एक वरिष्ठ अध्यक्ष के साथ चार युवा कार्यकारी अध्यक्ष चुना जाए।
पार्टी के अंदर खेमे बाजी कल कश्मीर पर बुलाई गयी कार्यसमिति की बैठक में भी नज़र आयी ,उस समय जब सिंधिया और हुड्डा के ट्वीट जिसमें इन दोनों ने मोदी सरकार के कदम का समर्थन किया था पर सभी वरिष्ठ नेता काफ़ी नाराज़ नज़र आये। कुमारी सैलजा ने यहाँ तक कह दिया कि पार्टी के युवा नेताओं को पता ही नहीं है कि कांग्रेस क्या है ,नेहरू ,पटेल तथा अन्य नेताओं ने उस समय जिस सोच के साथ फ़ैसला किया भाजपा दम्भ में आकर जबरन फ़ैसले कर रही है और हमारे नेता बिना सोचे समझे पार्टी की नीति को किनारे रख कर उसके खिलाफ बोल रहे हैं। बाबजूद इसके सिंधिया और हुड्डा अपने ट्वीट पर अड़े रहे ,जब प्रियंका ने दख़ल दिया और कहा कि भाजपा अपनी राजनीति कर रही है ,कांग्रेस भाजपा नहीं है ,चाहे वोट मिले या न मिले कांग्रेस अपनी नीति और परंपरा नहीं छोड़ेगी।
दूसरी और पार्टी के वरिष्ठ नेता थे जो एकजुट होकर युवा नेताओं पर आक्रामक थे ,जिससे साफ़ दिख रहा था कि पार्टी में दो अलग -अलग खेमे बन चुके हैं। पी चिदंबरम ,अहमद पटेल ,मुकुल वासनिक,अशोक गेहलोत ,गुलाम नवी आज़ाद ,अम्बिका सोनी ,कुमारी सैलजा का खेमा 370 को समाप्त करने के मोदी सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ बोलते नज़र आये ,जिसका नतीज़ा हुआ कि पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर जो कहा उसने सिंधिया ,हुड्डा ,देवड़ा जैसे युवाओं के ट्वीट की भाषा को खारिज़ कर दिया। इसी के साथ 9 अगस्त को पार्टी के महासचिवों ,प्रदेश अध्यक्षों ,विधानमंडल दल के नेताओं तथा दूसरे नेताओं की बैठक बुला कर धारा 370 पर पार्टी के रुख पर कायम रहने की कवायत होगी ,यह इस कारण महत्वपूर्ण है कि 10 अगस्त को ठीक एक दिन बाद कार्यसमिति नये अध्यक्ष के चयन पर विचार करेगी।
मतलब साफ है कि युवा नेता अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपनी राय खुलकर बता रहे हैं अब देखना होगा कि नया अध्यक्ष बनने के बाद क्या खेमेबाजी पार्टी को नुकसान तो नही पहुंचाती।