हरियाणा कांग्रेस में हमेशा की अंतर्कलह से निपटने के लिए पार्टी राज्य में मंडलस्तर पर चार कार्यकारी अध्यक्षनियुक्त कर सकती है । नई नियुक्तियों में जातीय समीकरणों का ख्याल रखा जाएगा। कांग्रेस के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को एक मंच पर लाने के प्रयास विफल होने के बाद इस दिशा में हाईकमान ने विचार किया है।
हरियाणा कांग्रेस के दो क्षत्रप भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच अंतर्कलह कम नहीं हो पा रही है। इसका खामियाजा पिछले पांच साल के दौरान हुए लगभग सभी चुनाव में कांग्रेस को भुगतना पड़ा है। दोनों नेताओं के आपसी विवाद के बीच हाईकमान तीन बार पार्टी प्रभारी बदल चुकी है। गुलाम नबी आजाद समेत कोई भी प्रभारी हरियाणा के नेताओं को एकमंच पर लाने में सफल नहीं हो सका है।
यह सही है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की देशव्यापी पराजय हुई है पर हरियाणा में हार का जिम्मा हुड्डा, कुमारी सैलजा, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर एक-दूसरे के सिर पर मढ़ रहे हैं। इससे जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं का कांग्रेस से मोहभंग हुआ है।पिछले सप्ताह हुड्डा गुट हाईकमान से टकराव के मूड़ में था मगर अशोक गहलोत और आनंद शर्मा स्थिति संभाली। अशोक तंवर का मानना है कि कुछ नेता संगठन को कमजोर कर रहे हैं। अंतरकलह की वजह से कांग्रेस अभी तक विधानसभा में नेता विपक्ष का नाम घोषित नहीं कर पाई है।